Bhairon Singh Shekhawat: इकलौता उपराष्ट्रपति जो हारा राष्ट्रपति चुनाव; कभी इंदिरा तो कभी बाबरी के चलते गंवानी पड़ी सीएम की कुर्सी

1952 में आजादी के बाद पहली बार राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए तो शेखावत ने चुनाव लड़ने की सोची और पुलिस इंस्पेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की थी और राज्य में सरकार बनायी। उस समय जनसंघ के 8 उम्मीदवार जीते थे और उनमें शेखावत ने रामगढ़ सीट से जीत दर्ज की थी।

0
197
Bhairon Singh Shekhawat: इकलौता उपराष्ट्रपति जो हारा राष्ट्रपति चुनाव; कभी इंदिरा तो कभी बाबरी के चलते गंवानी पड़ी सीएम की कुर्सी
Bhairon Singh Shekhawat: इकलौता उपराष्ट्रपति जो हारा राष्ट्रपति चुनाव; कभी इंदिरा तो कभी बाबरी के चलते गंवानी पड़ी सीएम की कुर्सी

Bhairon Singh Shekhawat: भैरों सिंह शेखावत के चाहने वाले उन्हें प्यार से बाबोसा नाम से बुलाते हैं। शेखावत का जन्म 23 अक्टूबर 1923 को राजपुताना एजेंसी यानी आज के राजस्थान के सीकर जिले में हुआ था। किसान पुत्र शेखावत शुरू से ही पढ़ने में बहुत अच्छे थे। हालांकि पिता की मृत्यु के चलते वे उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर सके। घर को संभालने के लिए उन्होंने पुलिस की नौकरी करनी शुरू कर दी। इस बीच उनका झुकाव राजनीति की ओर होने लगा।

फिर क्या था साल 1950 में वे भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए। इसके बाद 1952 में आजादी के बाद पहली बार राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए तो शेखावत ने चुनाव लड़ने की सोची और पुलिस इंस्पेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। चुनाव नतीजों में कांग्रेस ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की थी और राज्य में सरकार बनायी। उस समय जनसंघ के 8 उम्मीदवार जीते थे और उनमें शेखावत ने रामगढ़ सीट से जीत दर्ज की थी।

Bhairon Singh Shekhawatt 3
Bhairon Singh Shekhawat ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की

Bhairon Singh Shekhawat को आपातकाल में जेल जाना पड़ा

1957, 1962 और 1967 के विधानसभा चुनाव में भी शेखावत ने जीत दर्ज की। हालांकि 1972 के विधानसभा चुनाव में वे हार गए। 1973 में उनको जनसंघ ने राज्यसभा भेजा। देश में आपातकाल लगा तो भैरों सिंह शेखावत को भी जेल जाना पड़ा। इस दौरान वे रोहतक की जेल में रहे।

Bhairon Singh Shekhawat: राजस्थान के पहले गैर-कांग्रेसी सीएम

इमरजेंसी हटी तो राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव का एलान हुआ। माहौल पूरी तरह से कांग्रेस के खिलाफ था। जनता पार्टी को राज्य के चुनाव नतीजों में 152 सीटें मिलीं। शेखावत भी जनता पार्टी के टिकट से विधायक बन गए। ये शेखावत के जीवन का सबसे खास पल था जब उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री चुना गया। वे राजस्थान के पहले मुख्यमंत्री बने , जिसका संबंध कांग्रेस से नहीं था।

Bhairon Singh Shekhawatt
10 साल तक Bhairon Singh Shekhawat राजस्थान में विपक्ष के नेता रहे

1980 में इंदिरा तो वहीं 1992 में बाबरी के चलते गंवानी पड़ी कुर्सी

हालांकि वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। इंदिरा गांधी 1980 में केंद्र में आईं तो उन्होंने शेखावत सरकार को भंग कर दिया। जनसंघ ने अब भारतीय जनता पार्टी का रूप ले लिया था और शेखावत भी इसमें थे। 10 साल तक शेखावत राजस्थान में नेता विपक्ष रहे। 1990 में राज्य में विधानसभा चुनाव का एलान हुआ और भारतीय जनता पार्टी को 85 सीटें मिलीं। एक बार फिर शेखावत ने सीएम पद की शपथ ली। दिसंबर 1992 तक शेखावत सीएम पद पर रहे लेकिन बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद नरसिम्हा राव सरकार ने राजस्थान में राष्ट्रपति शासन लगा दिया।

Bhairon Singh Shekhawatt1
Bhairon Singh Shekhawat

तीसरी बार बने सीएम और पूरा किया कार्यकाल

1993 में एक बार फिर से राजस्थान में चुनाव होने जा रहे थे। इस बार भारतीय जनता पार्टी को 95 सीटें मिलीं और राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनी और शेखावत सीएम हो गए। 1998 आते-आते केंद्र के उलट राजस्थान में सियासी हवा बदल चुकी थी। चुनाव का एलान हुआ तो शेखावत को कुर्सी गंवानी पड़ी। कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और अशोक गहलोत सीएम बने। दिलचस्प बात ये है कि इस समय भी गहलोत राजस्थान सीएम पद पर कायम हैं।

Bhairon Singh Shekhawat 2002 में बने उपराष्ट्रपति

1998 के चुनाव में शेखावत चुनाव जीत गए थे और वे 2002 तक राज्य में नेता विपक्ष रहे। 2002 में देश में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार के तौर पर शेखावत ने जीत दर्ज की और वे 2007 तक इस पद पर रहे। उन्होंने 2007 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा लेकिन वे प्रतिभा पाटिल से ये चुनाव हार गए।

Bhairon Singh Shekhawatt 4
Bhairon Singh Shekhawat

साल 2010 में भैरों सिंह शेखावत का जयपुर में निधन हो गया।

संबंधित खबरें…

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here