बिहार में इंटर टॉपर घोटाले के बाद शिक्षा में एक और बड़े घोटाले की जाँच शुरू हो गई है। बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित इंटर स्तरीय परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का अंदेशा जताया जा रहा है। घोटाले की यह आशंका परीक्षा से पहले प्रश्न पत्रों की बाज़ार में उपलब्धता को देखते हुए लगाया जा रहा है।
गौरतलब है कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग ने बिहार में विभिन्न पदों के लिए 18000 सीटों पर नियुक्ति के लिए रिक्तियां निकाली थीं। यह रिक्तियां साल 2014 की हैं। इन रिक्तियों पर करीब अठारह लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। 2017 में लगभग तीन साल बाद आयोग ने चार तिथियों में परीक्षा लेने की घोषणा की थी। इसके बाद अब तक दो तिथियों पर परीक्षा आयोजित की जा चुकी है। दोनों ही दिन परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र व्हाट्स एप्प और बाज़ार में वायरल हो गए थे। इसके बाद छात्र भड़क उठे और परीक्षा रद्द की जाने की मांग उठने लगी।
मीडिया में इस खबर के आने के बाद भी आयोग ने परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी को नहीं माना। इसके बाद गुस्साए छात्रों ने बोर्ड के सचिव को घेर लिए और उनके साथ मारपीट की। इस घटना के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए एसआईटी जाँच के आदेश दिए। जाँच के दौरान अलग-अलग जगहों से कई लोगों की गिरफ़्तारी हुई है।
परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र लीक होने के इस मामले में हुई गिरफ्तारियों के बाद कल एसआईटी ने बोर्ड के सचिव परमेश्वर राम को हिरासत में ले लिया। इससे पहले उनके घर छापेमारी करने पहुंची थी। उनके घर से पुलिस के हाथ कई अहम् सबूत लगे थे। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सचिव के अलावा इस मामले में अब तक सात लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है।
बिहार की साख में बट्टा लगाने वाले इस मामले में हुई गिरफ़्तारी के बाद अब तक हुई पूछताछ और प्रारंभिक जाँच में प्रश्नपत्र लीक होने की पुष्टि हुई है। ऐसे में एसआईटी अब तक हुई दोनों चरणों की परीक्षा को रद्द करने की अनुशंसा सरकार को भेज सकती है। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि इससे पहले भी बिहार कर्मचारी चयन आयोग पर गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। अब देखना है इतने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी के बाद जागी सरकार की जाँच में कारवाई होती है या नतीजे ढाकके तीन पात वाले ही साबित होते हैं?