Anil Deshmukh Corruption Case में एक दिलचस्प मोड़ उस वक्त आ गया, जब खुद को पीड़ित और अनिल देशमुख को भ्रष्टाचारी बताने वाले मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर Parambir Singh अपने लगाये आरोपों से पलट गये।
परमबीर सिंह ने इस मामले में अपने वकील के जरिये दिये एफिडेविड में कहा है कि उनके पास राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
Affidavit देकर कहा मेरे पास भ्रष्टाचार का कोई साक्ष्य नहीं
खबरों के मुताबिक परमबीर सिंह ने एक सुनवाई में जस्टिस चांदीवाल आयोग के समक्ष एक हलफनामा दाखिल कर कहा था कि उनके पास अनिल देशमुख के खिलाफ कोई सबूत नहीं है, जिससे वह प्रमाणित कर सकें कि देशमुख भ्रष्टाचार में संलिप्त रहे हैं।
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परमबीर सिंह की ओर से यह हलफनामा तब दिया गया है जब अभी दो दिन पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने इसी मामले में पूछताछ में सहयोग न करने की बात करते हुए अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया गया था। जबकि परमबीर सिंह के द्वारा लगाये गये आरोपों के बाद ही सीबीआई ने मामला दर्ज किया और उसी आधार पर ईडी ने देशमुख को गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने एनसीपी के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख को 6 नवंबर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया है।
उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था
खबरों के मुताबिक परमबीर सिंह जब मार्च में मुंबई पुलिस के आयुक्त के पद पर थे तो उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर अनिल देशमुख पर सचिन वाझे के जरिए मुंबई से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली के आरोप लगाये थे। जिसके बाद मचे राजनीतिक घमासान के कारण तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख को अप्रैल में पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
IPS परमबीर सिंह अनिल देशमुख पर आरोप लगाने के बाद से फरार हैं
वहीं अनिल देशमुख बार-बार खुद को निर्दोष बताते हुए सभी आरोपों को खारिज कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाले परमबीर सिंह कहां छुपे हुए हैं, वो सामने क्यों नहीं आ रहे हैं। मालूम हो कि कुछ मीडिया रिपोर्ट और नेता परमबीर सिंह के देश छोड़कर भाग जाने की भी बात कर रहे हैं।
गौरतलब है कि परमबीर सिंह के आरोपों के आधार पर ही अनिल देशमुख की गृहमंत्री की गद्दी चली गई साथ ही उन्हें मुंबई और पुणे की अदालतों के द्वारा दो-दो गैर-जमानती वारंट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि पुलिस द्वारा दर्ज किए गए जबरन वसूली के कुछ अन्य मामलों में भी उनका नाम शामिल है।
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