Diwali की रात क्यों खेला जाता है जुआ? जानें इसके पीछे की कहानी…

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गुरुवार को पूरे देश मे दीवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बाबत लोगों ने अपने घरों को सजाना शुरू कर दिया है। तमाम खरीदारी का काम निपटा लिया गया है। हर बार की तरह इस बार भी लोग दीवाली की रात लक्ष्मी-गणेश का पूजन करेंगे और मिठाई बांटकर खुशियां मनाएंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि दीवाली की रात जुआ खेलने का रिवाज भी है। हम आपको इसी रिवाज के बारे में बताएंगे।

जुआ खेलना कब से शुरू हुआ , इसके पीछे की कहानी क्या है?

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक माता पार्वती दीवाली पर भगवान शिव के साथ जुआ खेलती थीं। जिससे दोनों के बीच प्रेम बढ़ता था। बाद में यह एक रिवाज के रूप में शुरू हुआ। आज भी बहुत से परिवारों में दीवाली पूजन के बाद जुआ खेलने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि जुआ खेलने से परिजनों के बीच प्रेम बढ़ता है।

हालांकि जुए में पैसा लगाना इसलिए सही नहीं माना जाता है कि महाभारत में पांडवों ने जुआ खेलते हुए अपना धन और संपत्ति दांव पर लगा दिया था। यहां तक कि युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया। ऐसी बहुत सी कहानियां हैं जो ये बताती हैं कि क्यों जुआ खेलना सही नहीं समझा जाता है। ज्योतिष के मुताबिक जुआ राहु ग्रह से जुड़ा हुआ है। अगर किसी की कुंडली में राहु गलत स्थान पर बैठा हुआ है तो ऐसे व्यक्ति के लिए यह बहुत अहितकारी साबित हो सकता है।

इस वजह से जुए में पैसे नहीं लगाने चाहिए?

अगर किसी को दीवाली के रोज जुआ खेलना भी है तो केवल मनोरंजन के लिए खेलें। जिससे कि आपके और आपके अपनों के बीच प्यार बढ़े और आप इस पर्व का आनंद उठा सकें। जुए में पैसा लगाना नुकसान करने वाला ही साबित होगा। मान्यताओं के अनुसार जुए में पैसा लगाने से लक्ष्मी माता नाराज हो जाती हैं। जिससे व्यक्ति को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

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