कोर्ट द्वारा भगोड़े करार दिये गये मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर Parambir Singh के मामले में एक और सनसनीखज खुलासा हुआ है। मुंबई पुलिस के ही एक रिटायर्ड एसीपी शमशेर खान पठान ने परमबीर सिंह पर आरोप लगाते हुए एक खत लिखा है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि मुंबई हमले (26/11) के वक्त पकड़े गये इकलौते आतंकी अजमल आमिर कसाब का फोन परमबीर सिंह ने अपने पास रख लिया था और उसे जांच के लिए ATS के जांच अधिकारी रमेश महाले को नहीं दिया। यह उसी फोन की बात हो रही है जिससे अजमल कसाब मुंबई हमले के दौरान पाकिस्तान में बैठे अपने हैंडलरों से लगातार निर्देश ले रहा था।
रिटायर्ड एसीपी शमशेर खान पठान ने 26 जुलाई 2021 को लिखे अपने चार पेज के खत में मु्ंबई के मौजूदा पुलिस कमिश्नर को बताया है कि मुंबई हमले के समय डीबी मार्ग पुलिस थाने के सीनियर पीआई माली ने उन्हें बताया कि आतंकी अजमल कसाब के पास से तलाशी में एक मोबाइल फोन बरामद हुआ. जिसे थाने के ही एक सिपाही कांबले के पास सुरक्षित रख दिया गया।
मुंबई पुलिस ने कसाब को गिरगांव चौपाटी के पास से पकड़ा था
उस वक्त जब कसाब को गिरगांव चौपाटी के पास जिस सिग्नल पर पकड़ा गया था, उसी समय परमबीर सिंह भी मौके पर पहुंच गये। परमबीर ने कसाब का वह फोन अपने पास रख लिया, जबकि उन्हें कायदे से यह फोन जांच अधिकारी रमेश महाले को देना चाहिए था।
शमशेर खान ने खत में लिखा कि साल 2007 से 2011 के बीच उनकी तैनाती पाईधूनी पुलिस स्टेशन में बतौर सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर थी। वहीं उनके बैचमेट एनआर माली भी सीनियर इंस्पेक्टर के पद पर डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में तैनात थे।
मुंबई हमले में आतंकी अजमल कसाब को गिरगांव चौपाटी इलाके में पकड़ा गया था। इसकी जानकारी जब उन्हें हुई तो फौरन ही अपने साथी एनआर माली से संपर्त किया। फोन पर माली ने उन्हें बताया कि तलाशी के दौरान कसाब के पास से एक मोबाइल फोन बरामद हुआ। कई बड़े अधिकारी मौके पर आये थे, जिसमें परमबीर सिंह भी थे। उस समय फोन कांस्टेबल कांबले के पास था और परमबीर सिंह ने कसाब को फोन उससे अपने पास ले लिया।
परमबीर सिंह ने अजमल का फोन जांच अधिकारी को नहीं दिया
रिटायर्ड एसीपी शमशेर खान पठान खत में आगे लिखते हैं कि घटना के कुछ दिन बाद मैंने माली से फिर से बात की। उस समय माली ने बताया कि अजमल मामले की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच के पुलिस इंस्पेक्टर महालय कर रहे थे लेकिन यह जानकर आश्चर्य हुआ कि परमबीर सिंह ने अजमल का फोन इंस्पेक्टर महालय को नहीं दिया।
गौरतलब है कि मुंबई हमले का दोषी आतंकी अजमल कसाब अकेला जिंदा आतंकी था, जो मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ा था। विशेष अदालत ने 3 मई 2010 को कसाब को भारत के खिलाफ हमले का दोषी पाया था और उसे 21 नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।
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