PM Modi Birthday: पीएम मोदी के जन्मदिन पर भारत को मिलने वाला है अनोखा तोहफा, 70 साल बाद देश में परदेस से आ रहे हैं चीते

चीतों के शिकार की घटनाओं के कारण यह प्रजाति संकटग्रस्त हो गई थी। मध्य प्रदेश में महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश में बचे आखिरी तीन चीतों को मार डाला। फिर 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।

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PM Modi Birthday: भारत 70 साल पहले चीतों का घर हुआ करता था, लेकिन शिकार और अन्य कारणों से 1952 में चीता भारत से विलुप्त हो गया। अब 70 साल बाद एक बार फिर भारत में चीतों की आबादी होने जा रही है। शनिवार 17 सितंबर को 8 चीतों को नामीबिया से भारत लाया जाएगा। इन चीतों को विशेष चार्टर फ्लाइट से ग्वालियर लाया जाएगा।

PM Modi Birthday: चीता आएगा सीधा ग्वालियर

बता दें कि पहले दक्षिण अफ्रीका से आठ चीता को भारत के जयपुर लाया जाना था, लेकिन कुछ दिक्कतों के चलते योजना में बदलाव किया गया है। अब चीतों को चार्टर प्लेन से ग्वालियर से मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) ले जाया जाएगा। इसके चलते जयपुर एयरपोर्ट के पास जयपुर पहुंचने वाले कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए बुक किए गए कमरों को कैंसिल कर दिया गया है।

बता दें कि वह आज रात 8 चीतों के साथ नामीबिया से विशेष विमान से भारत के लिए रवाना होंगे और 17 सितंबर को सुबह 8 बजे ग्वालियर पहुंचेंगे। वहां से चीतों को हेलिकॉप्टर से कुनो पार्क ले जाया जाएगा। कल यानि 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन है। ऐसे में करीब सात दशक बाद भारतीय धरती पर चीतों के एक दल के आने से इस साल पीएम का जन्मदिन खास होने जा रहा है।

खास बात यह है कि नामीबिया से भारत आने वाले चीतों को हवाई यात्रा के दौरान खाली पेट रखा जाएगा। वन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नामीबिया से उड़ान भरने के बाद चीतों को सीधे कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में खिलाया जाएगा। एहतियात के तौर पर जरूरी है कि यात्रा के दौरान जानवरों का पेट खाली रहे। इससे जानवर सफर के दौरान जी मिचलाने जैसी समस्या से बच सकते हैं।

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70 साल बाद देश में परदेस से आ रहे हैं चीते

30 दिनों तक रखा जाएगा क्वारेंटाइन

वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कुनो पहुंचने के बाद चीतों को 30 दिनों तक एक बाड़े में रखा जाएगा। इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जाएगी। इसके बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाएगा। पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए न्यूनतम 25-30 चीतों की आवश्यकता होती है, इसलिए 5 वर्षों में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कुछ और चीतों को भारत लाया जाएगा।

चीता भारत में 1947 से विलुप्त हैं

चीतों के शिकार की घटनाओं के कारण यह प्रजाति संकटग्रस्त हो गई थी। मध्य प्रदेश में महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश में बचे आखिरी तीन चीतों को मार डाला। फिर 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर चीता को विलुप्त घोषित कर दिया।

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