Environment: देश की राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण का असर भूमि की उर्वर क्षमता पर पड़ रहा है।विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र के अनुसार प्रदूषण का बढ़ता स्तर बेहद चिंता का विषय है। यही वजह है कि दिल्ली की 61 फीसदी से ज्यादा जमीन खराब या क्षारीय हो चुकी है।इसके चलते यहां के हरे-भरे पार्क अब अपनी रंगत खो रहे हैं। जमीन का उपजाऊपन कम हो गया है।लगातार बढ़ता शहरीकरण, एक ही प्रकार की खेती, कीटनाशकों के अधिक इस्तेमाल से जमीन की उर्वरता घटती जा रही है।
Environment: क्षरित भूमि में दिल्ली का 3 स्थान
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से मिली रिपोर्ट के अनुसार क्षरित भूमि के मामले में झारखंड, राजस्थान के बाद दिल्ली का तीसरा स्थान है।इसकी अलग-अलग वजहें जिम्मेदार हैं। देश में ऐसी भूमि का आकार लगातार बढ़ रहा है,जिसकी उर्वरता खत्म हो रही है।ध्यान योग्य है कि बीते 15 वर्षों के दौरान ऐसी भूमि में लगभग 33 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है।
Environment: एक की प्रकार की खेती भी नुकसानदायक
मशहूर कृषि अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ सरदार जोहल सिंह का कहना है कि एक ही किस्म की फसल लंबे समय तक उगाने से खेतों की उर्वरता नष्ट हो रही है। इसके साथ ही मरूस्थलीकरण का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह थी कि पंजाब में खेती की जमीन की उर्वरता को बचाए रखने के लिए 50 लाख हेक्टेयर जमीन को गेहूं और धान की खेती से मुक्त किए जाने का सुझाव दिया गया था।
Environment: ये कारण भी हैं जिम्मेदार
इसकी पहली वजह रसायन का अधिक इस्तेमाल है।जिससे खेती में इस्तेमाल की जाने वाली भूमि अपनी उर्वरता खोती जा रही है।क्योंकि इनका अधिक प्रयोग वानस्पतिक क्षरण का कारण बनता है।ये भूमि क्षरण के लिए 31 फीसदी तक जिम्मेदार है। दूसरा जंगलों की अंधाधुंध होती कटाई है। पेड़ नहीं होने से अक्सर बाढ़ और नदियां बहाकर ले जाती हैं।
ये 37 फीसदी तक मृदा अपरदन के लिए जिम्मेदार है।तीसरा कारक है कम बारिश का होना।पर्यावरण विभाग से जारी आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में बीते 11 वर्षों के दौरान बारिश देरी से हुई। वहीं कम बारिश होने से मिट्टी में नमी कम हुई।ऐसे में हवा के साथ ही मिट्टी की उपजाऊ परत भी उड़ गई। ये कारक 18 फीसदी तक जिम्मेदार माना गया है।
संबंधित खबरें