Environment News: दिल्ली के नक्शे में सेंट्रल रिज का बड़ा महत्व है। यहां के पारिस्थितिकीय तंत्र को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए दिल्ली सरकार ने अहम कदम उठाया है।यहां के हरित क्षेत्र पर फैले विलायती कीकर को हटाकर बायोडाइर्सिटी पार्क विकसित करने पर काम शुरू हो गया है।
दिल्ली के सेंट्रल रिज में फैला विलायती कीकर जिसे प्रोपोसिस जूलीफलोरा भी कहते हैं। इसे हटाने के अभियान की शुरुआत हाल ही में हुई। अभियान के पहले चरण में करीब 10 हेक्टेयर भूमि से इस पेड़ को हटाया जाएगा।इसकी जगह यहां बायोडाइवर्सिटी पार्क बनाने के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने कुछ माह पूर्व ही मुहर लगा दी थी। अब इसे वन विभाग की ओर से भी स्वीकृति मिल गई है।
वन विभाग के पास सेंट्रल रिज में अन्य विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा हिस्सा आता है। इसलिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विलायती कीकर हटाने के अभियान की शुरुआत यहीं से की जाएगी।
यहां भी पहले चरण में वन विभाग के अधीन आने वाली 423 हेक्टेयर भूमि से विलायती कीकर और झाड़ियों को हटाकर बायोडायवर्सिटी की तर्ज पर स्वदेशी प्रजातियों के पौधे रोपे जाएंगे। दिल्ली विश्वविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन विभाग के वनस्पति विज्ञानी प्रो. सीआर बाबू के निर्देशन में यह प्रक्रिया 5 वर्ष में पूरी की जाएगी। इस पर करीब 12.21 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है।
Environment News: विलायती कीकर सबसे ज्यादा रिज क्षेत्र में फैला
जानकारी के मुताबिक, 1483 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली राजधानी दिल्ली का कुल 20.22 फीसदी क्षेत्र हरित है। इसमें से 60 फीसदी से ज्यादा क्षेत्र में विलायती कीकर लगा हुआ है।विलायती कीकर सबसे ज्यादा रिज क्षेत्र में फैला है। 7,777 हेक्टेयर का रिज क्षेत्र 4 हिस्सों में बंटा हुआ है।
नॉर्दन रिज, साउदर्न रिज, सेंट्रल रिज और साउदर्न-सेंट्रल रिज। रिज क्षेत्र भी किसी एक सरकारी विभाग या एजेंसी के अधीन न होकर आधा दर्जन से भी अधिक विभागों एवं एजेंसियों के क्षेत्राधिकार में आता है।
विलायती कीकर मूल रूप से मैक्सिको का स्थानीय पौधा है।इसकी खासियत है कि ये बड़ी ही तेजी के साथ बढ़ता और हरा रहता है। दरअसल दिल्ली और आसपास के इलाकों में हरियाली बनाए रखने के लिए अंग्रेजों ने इसे लगाने की शुरुआत की थी।
Environment News: यहां जानिए विलायती कीकर के नुकसान
- विलायती कीकर से निकलने वाले परागकण सांस के लिए ठीक नहीं होते।
- ये भूगर्भ जल को बड़ी ही तेजी से सोखता है।
- इसकी पत्तियां भूमि पर गिरने से हयूमस नहीं बनाती हैं।
- इसके तने से निकलने वाले हानिकारक रसायन अपने आसपास अन्य पौधे नहीं पनपने देते।
- इसकी पत्तियां पशु भी नहीं खाते हैं, इसकी फलियां जमीन पर गिरने के साथ बड़ी ही तेजी से उगती हैं।
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