Environment News: पूरी दुनिया के कचरे पर नजर रखेगी ‘Waste Web’, पर्यावरण संरक्षण के लिए वैज्ञानिकों ने तैयार की खास प्रणाली

Environment News: एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर वर्ष करीब 7 से 10 अरब मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है। जिसमें से करीब 300 से 500 मीट्रिक टन पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक होता है।

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Environment News: Waste Web

Environment News: पर्यावरण को प्रदूषित करने में सबसे बड़ा योगदान कचरे का है। कचरा ठोस हो या द्रव इसके विषैले तत्‍व पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में हर वर्ष करीब 7 से 10 अरब मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है। जिसमें से करीब 300 से 500 मीट्रिक टन पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक होता है। स्‍पेन के इंस्‍टीटयूट ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी फिजिक्‍स एंड कॉम्‍पलेक्‍स सिस्‍टम्‍स के शोधकर्ताओं ने दुनिया भर में कचरे के व्‍यापार पर नजर रखने के लिए एक खास प्रकार की प्रणाली तैयार की है। इसी का नाम ‘वेस्‍ट वेब’ रखा गया है।

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Environment News: व्‍यापार के तौर पर दूसरे देशों में भेजा जाता है कचरा

ये व्‍यापार कानून के तहत गठित नेटवर्क है। इसके अनुसार खतरनाक कचरा बढ़ने के कारण कुछ देश इसे दूसरे देशों को बेच देते हैं। कचरे के बदले उन्‍हें भुगतान किया जाता है। जिस देश के पास कचरा जाता है। वहां अक्‍सर इसे संसाधन के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है। इसी कड़ी में वर्ष 2001 से 2019 के बीच लगभग दो दशक तक संस्‍थान ने उन तमाम देशों का सर्वे किया। जहां कचरा भेजा जाता है। इसके बाद इस कचरे से होने से नुकसान एवं बचाव पर गहनता के साथ अध्‍ययन भी किया।

Environment News: क्‍या है खतरनाक कचरा ?

जानकारी के अनुसार विभिन्‍न औद्यौगिक इकाइयों से बड़ी मात्रा में खतरनाक अप‍शिष्‍ट निकलते हैं। इसमें कई तरह के रसायन, भारी धातु, विस्‍फोटक, ज्‍वलनशील और रेडियोधर्मी पदार्थ शामिल हैं। इसके साथ ही घरों मं पेंट के ड्रम, कीटनाशी के डिब्‍बे यहां तक की कंप्‍यूटर के खराब पार्ट भी इसी श्रेणी में आते हैं।

Environment News: 28 देश सर्वाधिक खतरे की जद में

वेस्‍ट वेब की मदद से शोधकर्ताओं ने अल्‍प पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक वाले 28 देशों का पता लगाया, जो कचरे के जमाव के कारण सबसे अधिक खतरे में हैं। इतना ही नहीं ये देश कचरे का निस्‍तारण तो दूर उसका अन्‍य जगहों पर इस्‍तेमाल तक ठीक ढंग से नहीं कर पा रहे हैं। इस दौरान डंपिंग साइट के पास रहने वाले लोगों पर इसका सर्वाधिक असर पड़ रहा है, उन्‍हें कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है।

Environment News: बढ़ रही सेहत की समस्‍याएं

बेसल कंवेशन का पालन करने वाले देशों से करीब 14 लाख मीट्रिक टन कचरा मिला। यहां के लोगों में अस्‍थमा, चर्म रोग, स्किन कैंसर, बालों का गिरना, न्‍यूरो संबंधी दिक्‍कतें, एसबेसटोसिस, दांतों का खराब होना, हैजा, डायरिया और कैंसर जैसे रोग पाए जा रहे हैं। जोकि चिंता की बात है।

Environment News: कैसे बचें ?

ऐसे में सबसे ज्‍यादा कारगर कदम होगा सभी को अधिक से अधिक जागरूक करना। कचरे की हकीकत और दुष्‍प्रभावों के बारे में बताना। इसके साथ ही ऐसे कचरे को खरीदने की बजाय इसके निस्‍तारण पर काम करना। तभी एक बेहतर कल की स्‍थापना हो सकेगी।

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