Environment: रंग बिरंगे फूल, शीतल जल की धारा और प्रकृति के अदभुत नजारे ये देखने के लिए आपको दिल्ली से बाहर जाने की हरगिज जरूरत नहीं है। इन सभी नजारों के साथ ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह भी है एक ऐसा पार्क जो अपने आप में अनूठा है। प्रदूषण के इस दौर में आज भी इस पार्क के अंदर आप मानसिक सुकून और शांति के अनुभव के साथ प्रकृति से रूबरू हो सकते हैं।
इस पार्क को कमला नेहरू रिज या ‘बोंटा’ के नाम से भी जाना जाता है।प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर के बगल में स्थित नॉर्थ रिज, दिल्ली रिज का सबसे छोटा खंड है। लेकिन तेजी से हो रहे शहरीकरण के साथ यह खतरनाक दर से सिकुड़ रहा है।ये उत्तरी दिल्ली की शान के साथ ही हमारी ऐतिहासिक धरोहर भी है।
Environment: दिल्ली रिज ही कहलाता है दिल्ली का ‘हरा फेफड़ा’
Environment: दिल्ली रिज लगभग 35 किलोमीटर फैला है। इसे ही दूसरी भाषा में दिल्ली का ‘हरा फेफड़ा’ कहा जाता है। जोकि राजस्थान की गर्म हवाओं से शहर की रक्षा करता है।दिल्ली रिज आज चार क्षेत्रों में विभाजित है जो इस प्रकार है।
- 1 नॉर्थ रिज या कमला नेहरू रिज: दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास पहाड़ी इलाका। इसे 1915 में एक आरक्षित वन घोषित किया गया था। यह शुरू में 170 हेक्टेयर के क्षेत्र को कवर करता था, लेकिन अब सिकुड़कर 87 हेक्टेयर तक रह गया है।
- 2 सेंट्रल रिज या नई दिल्ली रिज: दिल्ली के केंद्र में स्थित इसे 1914 में आरक्षित वन घोषित किया गया था। इसमें 864 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है।
- 3 दक्षिण-सेंट्रल रिज या महरौली रिज: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पास स्थित है और संजय वन के आसपास केंद्रित है।यह 633 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करता है।
- 4 सदर्न रिज या तुगलकाबाद रिज: 6200 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य शामिल है।
Environment: 1857 की क्रांति का गवाह रहा है ये क्षेत्र
अंग्रेजों को देश से भगाने की पहली क्रांति 1857 का गवाह यह क्षेत्र भी रहा है। दरअसल वर्ष 1857 में दिल्ली की घेराबंदी के दौरान यहां अंग्रेजी सेना और भारतीय सैनिकों के बीच कड़ा संघर्ष हुआ था। यहीं 1863 में लाल बलुआ पत्थर के टावर विद्रोह स्मारक के रूप में बनाए गए। जिन्हें देखकर उस दौर का समय याद आ जाता है।
Environment: हर हाल में बचाना होगा भूजल स्तर
Environment: सेंट्रल गर्वनमेंट वॉटर बोर्ड की ओर वर्ष 2017-18 में जारी रिपोर्ट के अनुसार कमला नेहरू रिज में स्वच्छ पानी का भंडार है। जिसे समय रहते संरक्षित करना बहुत जरूरी है। ग्राउंड वॉटर इयर बुक एनसीटी दिल्ली में भी इस बात का उल्लेख मिलता है।
यमुना फ्लड प्लेंस और वजीराबाद प्लांट के पास होने की वजह से यहां भूजल स्तर गहरा और अच्छा है। लेकिन लगातार बढ़ती गर्मी और गिरते भूजल स्तर से इसमें कमी आ रही है।ऐसे में इसे सहेजना बेहद ही जरूरी हो गया है। इसके लिए सभी को मिलकर रिज एरिया को बचाना होगा। अधिक से अधिक पौधे रोपने होंगे, पेड़ों की कटाई, अवैध खनन और भूजल दोहन रोकने के साथ ही प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की उचित प्रक्रिया अपनानी होगी।
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