मुकेश एक ऐसे गायक जिनके गाए गाने सुनते हुए आज भी आम आदमी खुद को उनसे जोड़ लेता है। उनके द्वारा गाये गये लगभग सभी गीतो में संवेदना इस कदर झलकती है कि सुनने वालो की आंखें नम हो जाती है। ऐसा सिर्फ इस वजह से नहीं कि मुकेश एक गायक थे, बल्कि वे खुद भी बेहद संवेदनशील इंसान थे। दर्द को बारीकी से समझते थे, उसे जीते थे और अपना बनाकर गाते थे। मुकेश यूं ही नहीं दर्द भरे नगमो के बेताज बादशाह माने जाते हैं। मुकेश की इसी महानता को आज गूगल ने भी सलाम भेजा है।
22 जुलाई 1923 को दिल्ली में जन्मे थे मुकेश। बड़े होने पर मुकेश गाना तो चाहते ही थे साथ-साथ अभिनय भी करना चाहते थे। यही वजह रही कि वे सहगल को कॉपी करने लगे थे। एक दिन बहन की शादी में गीत गाते समय उनके दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने उनकी आवाज सुनी और प्रभावित होकर उन्हें मुंबई ले गए। मुंबई पहुंचकर मुकेश के लिए रास्ते खुलने लगे। शुरुआती हिचकोलों के बाद 1945 में प्रदर्शित फिल्म ‘पहली नजर’ में अनिल विश्वास के संगीत निर्देशन में ‘दिल जलता है तो जलने दे’ गीत मुकेश ने गाया और यह गीत इतना हिट हुआ कि मुकेश कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। लेकिन मुकेश ने पहली बार 1949 में फिल्म ‘अंदाज’ से अपनी आवाज को एक अलग ही अंदाज दिया। और अपने इस अंदाज से मुकेश भारतीयों के दिलों पर राज करने लगे। प्यार छुपा है, इतना दिल में जितने सागर मे मोती हो या ‘डम डम डिगा डिगा ..जैसा मस्तीभरा गीत हो, मुकेश की इस आवाज ने गली मोहल्ले, चौराहे –नुक्कड़ों को सराबोर कर दिया।
अब तक मुकेश पूरे देश में छा चुके थे। विदेशों में उनके फैन की संख्या कम नहीं थी। आए दिन मुकेश शो के लिए दुनिया की सैर पर रहते थे। इसी तरह की अमेरिका में एक शो करते हुए वहीं 27 अगस्त, 1976 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। इसका सबसे बड़ा झटका लगा राजकपूर को। राजकपूर मुकेश के बगैर जैसे अधूरे रह गए थे। उन्होंने कहा भी था कि मेरी आवाज आज चली गई।
हम आपको मुकेश के कुछ चुनिंदा गीतों से रूबरू करवाते हैं….उम्मीद है, जरुर पसंद करेंगे।
मेरा नाम जोकर…जीना यहां मरना यहां
तीसरी कसम…दुनिया बनाने वाले
मिलन…सावन का महीना
आनंद…कहीं दूर जब दिन ढल जाए
कभी कभी…मैं पल दो पल का शायर हूंधरम करम…एक दिन बिक जाएगा