भारत-भूटान-चीन सीमा पर विवाद बढ़ रहा है। डोकलाम क्षेत्र पर भूटान के दावे को चीन के विदेश मंत्रालय ने खारिज किया है। चीन ने विवादित इलाके में सड़क बनाने के अपने काम का बचाव किया है। उधर भारत ने चीन को खरी खरी सुनाई और कहा कि 1962 और आज के हालात में काफी बदलाव आ चुका है। हांलाकि चीन की धमकी को ऐसे भी समझना चाहिए कि भारत ने पिछले कुछ सालों में अपनी वैश्विक पैठ बनाई है और चीन इससे घबराया हुआ है।

शनिवार 1 जुलाई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में दो अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसके पहले हिस्से में चीन के साथ सीमा विवाद पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), प्रफुल्ल बख्शी (रक्षा विशेषज्ञ), कर्नल फसी अहमद (रक्षा विशेषज्ञ) , सुदेश वर्मा (राष्ट्रीय प्रवक्ता बीजेपी), सुरेन्द्र राजपूत (प्रवक्ता कांग्रेस) व जे डी अग्रवाल (अर्थशास्त्री)  शामिल थे।

प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि इसमें दो राय नही है कि 1962 में भारत की हालत इतनी खराब थी कि ये भी नही पता था कि एयरफोर्स को लगाये कि ना लगाये। हम हथियार तो जरुर खरीदते रहे लेकिन हमने रुपरेखा का विकास नही किया। इतने साल हमारे पास थे। पर क्या हमने तैयारी की है?

फसी अहमद ने कहा कि इसमें कोई दो राय नही है कि सन् 1962 में हम क्या थे और आज क्या हैं। बहुत सारे बदलाव आ चुके हैं। निश्चित रुप से जो बदलाव होने चाहिए थे वो नही हुआ है लेकिन चीन भी ये जानता है कि हम 1962 वाली फौज नही हैं। इसमें घबराने वाली बात नही है जो कार्यवाईयां होनी चाहिए वो हो रही हैं वो वक्त बदले हुए हैं।

सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि चीन अगर भारत को 1962 का भारत आंकने की कोशिश करता है तो उसे 1967 के भारत को भी याद कर लेना चाहिए। जब नाथूला और चोला कॉम्लेक्स हुआ था जब हमारे 80 सैनिक मरें थे और उनके 390 सैनिक मरें थे। उसको भी याद करना चाहिए पूरी दुनियां ने देखा था उससे सिर्फ पांच साल बाद भारत की एक छोटी लड़ाई हुई थी नाथूला बार्डर के पास। ये बात बिल्कुल साफ है कि आज के तारीख का भारत सशक्त भारत है समृध्द भारत है किसी से भी आंख मिला कर काम करने वाला भारत है।

सुदेश वर्मा ने कहा कि चीन ने गलत किया है क्यों कि एक समझ है कि आप कुछ भी नही करेंगे बार्डर क्षेत्र में जिससे की आपसी समझ में बदलाव आये। हम कोशिश कर रहे हैं कि चीन इस बात को समझे हम उच्च स्तरिय बातचीत कर रहे हैं कि चीन इस बात को समझे। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी संवेदनशीलता को चीन समझेगा। हम तो कुछ भी करते हैं तो वो बहुत संवेदनशील हो जाते हैं। ये कोई वो जमाना नही है कि आप दादागिरी करके कुछ भी कर लीजिए।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि वन बेल्ट वन रोड के मामले में भारत ने अपना एक तरह से प्रतिरोध पहले ही साफ किया है। भारत बिल्कुल नही चाहेगा कि भारत के इलाकों से होते हुए या पाकिस्तान द्वारा चीन को दिये गये भारतीय इलाकों से होते हुए कोई सड़क बने तो भारत उस पर किसी भी लिहाज से तैयार नही है और ये अंतरराष्ट्रीय जगत को भारत ने अपना पक्ष बिल्कुल साफ किया है। लेकिन ये जो ताजा मामला है ये भारत के अपने रक्षातंत्र से ज्यादा जो भारत पर जिम्मेदारी है उस जिम्मेदारी को निभाने का मामला भी है।

जेडी अग्रवाल ने कहा कि ये चीन की एक सोची-समझी चाल है। भारत की जो आर्थिक जीडीपी ग्रोथ है उससे उसको थोड़ी चिंता हो रही है। इसी प्रकार से भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने रिश्ते को कायम करना वो उसको गवांरा नही आ रहा है। इसलिए वो कोशिश कर रहा है कि किस तरह से लोगों का ध्यान भटकाया जाये।

जीएसटी पर कांग्रेस अलग-थलग

इसके दूसरे हिस्से में जीएसटी के मुद्दे पर अकेली पड़ी कांग्रेस के विषय पर चर्चा हुई। इस अहम विषय पर चर्चा के लिए भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू, सुरेन्द्र राजपूत, सुदेश वर्मा, प्रदीप गुप्ता (डायरेक्टर जीओटेक प्राइवेट लिमिटेड) व जे डी अग्रवाल (अर्थशास्त्री) शामिल थे।

कर प्रणाली को लेकर देश में नयी व्यवस्था लागू हो गयी है। अब देश में कई तरह के अप्रत्यक्ष करों की बजाय केवल एक टैक्स होगा- जीएसटी । सरकार का दावा है कि नई कर व्यवस्था से टैक्स प्रणाली में पार्दर्शिता आएगी। देश में महंगाई कम होगी। इसको लागू करने के लिए एक भव्य समारोह भी आयोजित किया गया लेकिन इस समारोह से कांग्रेस ने किनारा किया। आरजेडी, तृणमूल, डीएमके और लेफ्ट ने भी समारोह का बहिष्कार किया। लेकिन समारोह में कुछ दलों की मौजूदगी ने ये साफ कर दिया कि कांग्रेस कहीं न कहीं अलग-थलग पड़ रही है। सिर्फ अकेले जीएसटी का ही मसला नही है जिसमें कांग्रेस अलग-थलग पड़ी है पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मसले रहे जिस पर बाकि दलों ने उसका साथ छोड़ दिया।

सुरेन्द्र राजपूत ने कहा कि कांग्रेस जीएसटी के विरोध में ना थी ना है और ना रहेगी। हमारा विरोध जीएसटी को लेकर के नही है जीएसटी को हमारा समर्थन है। इस बात को अगर हमारा समर्थन ना होता तो लोकसभा और राज्यसभा से ये पारित नही हो सकता था ये अपने आप में सत्य है। हमीं लोग है जिसने इसी जीएसटी में 122 संशोधन कराये हैं वर्तमान सरकार पर दबाव डाल कर और सरकार मजबूर हुई है उन संशोधनों को करने के लिए। कल शाम को इन्होने आखिरी संशोधन किया है जो हमारे दबाव से हुआ है जब इन्होने रासायनकि फर्टिलाईजर को 12 प्रतिशत की कैटेरिगी में डाला था और हम लगातार दबाल डालते रहे तो वह 5 प्रतिशत की कैटेगिरी में आया।

सुदेश वर्मा ने कहा कि कांग्रेस को किसी बात की नही है आपत्ति इनको इस बात की है कि हमने पास तो करा दिया थोड़ा संदेह है इसको लेके तो थोड़ी राजनीति कर ली जाये।  अगर ये नकारात्मक होगा तो इस पर राजनीति कर लें। जो भी जीएसटी के बारे में वाकिफ है उसे पता है सरकार निर्णय नही ले रही है जीएसटी काउंसिल निर्णय ले रही है। इसमें उतार-चढ़ाव जुड़ा हुआ है लेकिन कांग्रेस जो ला रही थी वो एक निश्चित प्रतिशत था फिर अमीर और गरीब में क्या अंतर रह जाता।

प्रदीप गुप्ता ने कहा कि जो जीएसटी हमारे देश में आई है इसको बहुत पहले आ जाना चाहिए था। आज 196 देशों के अंदर है 80 प्रतिशत देश इसको स्वीकार कर रहे हैं । आज इसको मुद्दा ना बनाये विभिन्नतायें हैं जो हम देख रहे हैं। कई सारे चीजे गलत है जैसे 28 प्रतिशत जीएसटी गलत है लेकिन अभी नई-नई व्यवस्था है नये तरीके से लागू की जा रही है। लोगों को जटिलता समझ में आ रही है व्यापारी भी सोच रहे हैं क्या हो रहा है लेकिन बहुत अच्छा हो रहा है।

गोविंद पंत राजू ने कहा कि जिस तरह से कांग्रेस ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार करने की घोषणा की वो लोकतांत्रिक भावना का भी कही ना कही वो मजाक उड़ाने की बात है। हाल के दिनों में दो-तीन घटनाओं को देख कर ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के बावजूद अपने तर्को से रणनीति के तहत मुद्दे तय नही करती है। अनेक बार ऐसा लगता है कि वो तृणमूल कांग्रेस के पीछे चल रही है। नोटबंदी के मामले में भी तृणमूल कांग्रेस ही पहले नेतृत्व की उसके बाद कांग्रेस भी उसी एजेंडे पर काम करती दिखाई दी।

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