Springs: प्राकृतिक दोहन, घटते जंगलों के असर से कम हो रही झरनों की संख्‍या, जानिए क्‍या है इनका महत्‍व?

Springs: स्प्रिंग्स या जलस्‍तोत्र भूमि की अंदरुनी सतह में स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने तथा एक दूसरे से टकराने के कारण बने हैं। पहाड़ों और पथरीली चट्टानों में पड़ी दरारों से निकल रहे जल को ही यहां स्‍थानीय भाषा में स्‍तोत्र कहते हैं।

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Springs top news today
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Springs: स्प्रिंग्स का नाम आते ही आंखों के आगे एक ऐसा जलस्‍तोत्र छा जाता है।जिसके शीतल जल पूरे शरीर की थकावट दूर कर देता है।यही स्प्रिंग्स और जलस्‍तोत्र हिमालयी क्षेत्र में जगह-जगह आपको देखने को मिल जाएंगे।

नीति आयोग की ओर से जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस समय पूरे भारत में लगभग 5 मिलियन स्प्रिंग्स हैं, जिसमें से 3 मिलियन स्प्रिंग्स हिमालयी क्षेत्र के 12 राज्यों में पाए जाते हैं।रिपोर्ट में दिखाए गए ये आंकड़े इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि पहाड़ों में पीने के पानी के लिए स्प्रिंग्स क्या और कितना महत्व रखते हैं?

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Springs: कैसे हुआ निर्माण?

Springs: स्प्रिंग्स या जलस्‍तोत्र भूमि की अंदरुनी सतह में स्थित टेक्टोनिक प्लेट्स के हिलने तथा एक दूसरे से टकराने के कारण बने हैं। पहाड़ों और पथरीली चट्टानों में पड़ी दरारों से निकल रहे जल को ही यहां स्‍थानीय भाषा में स्‍तोत्र कहते हैं।इन प्राकृतिक जल स्रोतों का पानी पीने के लिए सबसे अधिक शुद्ध तथा उत्तम माना जाता है।

Springs: मनुष्‍य के साथ पशुओं के लिए भी उपयोगी

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Springs:स्प्रिंग्स न केवल मनुष्यों के लिए बल्‍कि अनेक नदियों के जल प्रवाह तथा जंगली जानवरों के लिए भी महत्वपूर्ण होते हैं। स्प्रिंग्स का पानी न केवल साल भर बहने वाली नदियों में मिलकर उनके जल प्रवाह को बढ़ाने में सहायता करता है।अनेकों छोटी नदियों को भी जन्म देता है।यही स्‍तोत्र जंगली जानवरों के लिए भी जल स्रोत का मुख्‍य आधार होता है।

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