Agneepath Scheme: केंद्र सरकार के अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से सेना में नौकरी चाहने वालों ने बवाल काटना शुरू कर दिया है। योजना में किए गए प्रावधान से नाराज छात्र शुक्रवार को तीसरे दिन भी देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी उन उम्मीदवारों में शामिल हैं जो पिछले दो वर्षों से रक्षा क्षेत्र में नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। दरअसल, सरकार ने कहा है कि सैनिकों की भर्ती 17.5 से पहले 21 और अब 23 वर्ष की आयु सीमा के भीतर लगभग 30,000-40,000 रुपये के वेतन पर की जाएगी।
इस योजना के तहत महिलाएं भी भर्ती के पात्र हैं। सरकार की ओर से बताया गया है कि अग्निपथ के तहत भर्ती किए गए सैनिकों को चार साल बाद सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। ये तो आपने जाना की सरकार की इस योजना में क्या-क्या प्रावधान है। अब विस्तार से बताते हैं कि सेना में नौकरी चाहने वाले छात्र क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं:
Agneepath Scheme का विरोध क्यों कर रहे हैं रक्षा क्षेत्र में नौकरी चाहने वाले छात्र?
बता दें कि देश भर में छात्र योजना के चार साल के सेवा प्रावधान के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। विरोध कर रहे सेना के उम्मीदवारों ने कहा कि न तो नौकरी चाहने वालों और न ही देश को इस योजना से लाभ होगा। ‘अग्निपथ योजना’ में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या यह है कि चार साल बाद 75 फीसदी युवाओं को बाहर होना पड़ेगा।
एक उम्मीदवार ने कहा कि एक युवा जो 17.5 साल की उम्र में अग्निशामक बन जाता है, उसके पास न तो कोई पेशेवर डिग्री होगी और न ही कोई विशेष योग्यता। ऐसे में उसे द्वितीय श्रेणी की नौकरी करने के लिए बाध्य होना होगा। दरअसल, छात्रों के बीच इस बात की चिंता है कि वे चार साल की सीमित अवधि में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाएंगे और इस अवधि के बाद, वे एक बार फिर बिना पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के बेरोजगार हो जाएंगे।

सेना के उम्मीदवारों ने कहा कि यह योजना एक दिखावा है। सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे युवा कह रहे हैं कि वे कड़ी मेहनत करते हैं और सेना में भर्ती होने के लिए कई साल तैयारी करते हैं। ऐसे में वे चार साल की नौकरी स्वीकार नहीं करते। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकार से इस योजना को तुरंत वापस लेने की अपील की है।
नौकरी चाहने वाले उम्मीदवार हथियार क्यों उठा रहे हैं?
प्रदर्शनकारियों द्वारा नौकरी की सुरक्षा और पेंशन दो प्रमुख मुद्दों का हवाला दिया जा रहा है। हालांकि, नई योजना में अधिकांश के लिए सिर्फ चार साल के कार्यकाल की बात कही गई है, और अग्निवीर पेंशन लाभ के लिए पात्र नहीं होंगे। बिहार के छपरा के एक विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्र ने कहा कि यह अग्निपथ योजना बेरोजगार युवाओं को दी जा रही महज एक जगह है। यहां तक कि माता-पिता भी अब अपने बेटों को सिर्फ चार साल के लिए सेना में भेजने से पहले कई बार सोचेंगे।
बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक कोचिंग सेंटर चलाने वाले एसके झा ने कहा कि बस चार साल बाद सेवानिवृत्त होने की कल्पना करो। रिटायर होने से पहले उन्हें कुछ कौशल देने के नाम पर यह उनकी भावनाओं के साथ खेलने के अलावा और कुछ नहीं है। छात्र पुरानी व्यवस्था को वापस चाहते हैं। बता दें कि महामारी के कारण सेना भर्ती पर दो साल की रोक से भी गुस्सा फूट रहा है। जबकि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती अगले हफ्ते से शुरू होगी, पिछले दो वर्षों के दौरान अधिक आयु वाले कई उम्मीदवार अब आयु मानदंड में छूट की मांग कर रहे हैं।
सेना में बहाली की लगभग 2 साल की देरी और सरकार की ये नई योजना के तहत 4 साल की नौकरी की बात अब छात्रों को रास नहीं आ रही है। प्रदर्शन के दौरान छात्र जगह-जगह तोड़-फोड़ मचा रहे हैं। देश के कई हिस्सों में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें फूंक दी है। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या प्रदर्शन का ये तरीका सही है? क्या देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही है? क्या सरकार के किसी योजना का विरोध इस तरह से किया जाए?

कहां से शुरू हुआ Agneepath Scheme के खिलाफ उग्र प्रदर्शन?
गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर और बक्सर में बुधवार को विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। वहीं शुक्रवार यानी आज भी देश के कई राज्यों में ‘अग्निपथ’ के विरोध में प्रदर्शन के दौरान ट्रेनों में आग लगा दी गई। सार्वजनिक और पुलिस वाहनों पर हमला किया गया और कर्मियों को घायल कर दिया गया। बिहार के आरा से लेकर हरियाणा के पलवल तक, उत्तर प्रदेश के आगरा से लेकर बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में ग्वालियर और इंदौर तक, सेना में नौकरी के लिए सैकड़ों युवा उम्मीदवार सार्वजनिक और निजी संपत्ति पर अपना गुस्सा निकालते हुए सड़कों पर उतर आए हैं।
पुलिस ने नई भर्ती नीति के खिलाफ रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध करने, सड़कों पर जलते टायर फेंकने और सड़कों पर पुश-अप और अन्य अभ्यास करने वाले नाराज युवाओं के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और लाठीचार्ज भी किया।

विरोध प्रदर्शन पर सरकार का पक्ष
अग्निपथ योजना के विरोध में सड़कों पर उतरे उग्र प्रदर्शनों के बीच एक बार फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भाजपा नेताओं के लिए सहारा बने हुए हैं। पार्टी नेता सरकार की इस योजना के फायदे सोशल मीडिया पर गिना रहे हैं। गौरतलब है कि किसान आंदोलन के दौरान भी भाजपा नेताओं को जगह-जगह किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा था। ‘अग्निपथ’ योजना को लेकर ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शनों के बीच भाजपा नेता इस योजना के फायदे गिनाने में लगे हैं।
राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया ने इस अग्निपथ योजना को केंद्र की मोदी सरकार का ऐतिहासिक निर्णय बताया है। प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर पूनिया ने कहा कि अग्निपथ योजना की सबसे बड़ी खासियत है कि नौजवानों को कम उम्र में सेना में सेवा करने का अवसर मिलेगा।राजस्थान से लेकर पूरे देश के नौजवानों ने अग्निपथ योजना का समर्थन किया है।

सरकार ने दी Agneepath Scheme को लेकर सफाई
बता दें कि देश में छात्रों के बवाल के बीच केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब दिए हैं। सरकार ने कहा कि अग्निपथ स्कीम से सेना की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ने का संदेह निराधार है। उसने कहा कि दो साल के संपर्क अभियान के बाद अग्निपथ स्कीम का प्रस्ताव तैयार किया गया है। जहां तक बात अग्निवीरों के भविष्य की है तो केंद्र एवं राज्य सरकारें उन्हें रिटायरमेंट के बाद अपने विभिन्न विभागों की भर्तियों में प्राथमिकता देंगी। साथ ही, उन्हें बिजनस करने, रोजगार पाने, पढ़ाई करने में भी मदद करेगी।
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