सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत है आज, यहां पढ़ें पूजा विधि और महत्व

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सावन 25 जुलाई से चल रहा है। कल सावन का तीसरा सोमवार था, और आज सावन का तीसरा मंगलवार है। पंचांग के अनुसार यह बेहद शुभ महीना चल रहा है। इस महीने में पूजा पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है। भगवान शिव के साथ-साथ सावन महीना माता पार्वती को भी बहुत प्रिय है। आज तीसरा मंगला गौरी व्रत है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से माता मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं। फलस्वरूप महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का फल प्राप्त होता है। सावन महीने में माता पार्वती भगवान शिव के साथ धरती पर भ्रमण करने के लिए आती हैं। आज आपको बताएंगे मंगला गौरी पूजा विधि और इसके महत्व के बारे में।

मंगला गौरी व्रत पर पूजा करने की विधि

सावन में मंगलवार के दिन सूर्योदय होने से पहले स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा वाली जगह को साफ करके वहां एक  लकड़ी का तख्त रखकर उसे लाल कपड़े से ढककर मां मंगला गौरी और भगवान गणेश जी की मूर्ति अथवा चित्र रखकर पूजा और व्रत का संकल्प करना चाहिए। इस पूजा में मां को वस्त्र, सुहाग की सामग्री, 16 श्रृंगार, 16 चूडियां, 16 सूखे मेवे, नारियल, फल, इलायची, लौंग, सुपारी और मिठाई आदि अर्पित किया जाता है। इसके बाद विधि-विधान से पूजा करते हैं। पूजा के बाद  माता गौरी की आरती करें और कथा जरूर सुननी चाहिए। श्रद्धा भाव से माता का प्रसाद सभी भक्तजनों के बीच विवतरित करें। इस दिन माता के नाम पर जरूरतमंद लोगों को धन तथा अनाज का दान देना चाहिए। ऐसा करने से आपके मन को सुख और शांती प्रदान होगी।

पूजा का महत्व

सावन में माता मंगला गौरी के पूजा से अखण्ड सौभाग्यवती होने का फल मिलता है। इससे वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। भविष्य पुराण के अनुसार अखण्ड़ सौभाग्यवती और संतान प्राप्ति की कामना से मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विशेष रूप से सुहागिन स्त्रियां रखती है और उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

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