Sanitary Napkin Scam: बिहार के इस स्कूल में लड़कों को भी दिया जाता था सेनेटरी नैपकिन

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Sanitary Napkin Scam
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Sanitary Napkin Scam: चारा घोटाला, कोयला घोटाला, जीप घोटाला, जैसे देश में कई घोटाले हुए हैं। वहीं बिहार के एक स्कूल से सेनेटरी नैपकिन घोटाले का मामला सामने आया है। पिछले तीन साल से लड़कियों के लिए आने वाले सेनेटरी नैपकिन में घोटाला किया जा रहा था। ये घोटाला बिहार के सारण जिले के मांझी प्रखंड के एक विद्यालय से सामने आया है, जहां लड़कियों को बांटे जाने वाले सेनेटरी नैपकिन और स्कूल यूनिफॉर्म को लड़को को भी बांट दिए गए।

Sanitary Napkin Scam: सेनेटरी नैपकिन का लाभ लड़कों को भी दिया जाता था

Sanitary Napkin Scam in Bihar
Sanitary Napkin Scam in Bihar

तीन सालों से लड़कियों के लिए केंद्र की तरफ से आने वाले Sanitary Napkin और स्कूल यूनिफॉर्म के पैसों को लड़को के खातों में भी भेजा जा रहा था। मामले की पोल तब खुली, जब स्कूल के पुराने प्रधानाध्यापक के सेवानिवृत्त होने पर दूसरे प्रधानाध्यापक ने पदभार संभाला किया।

नए प्रधानाध्यापक से जब शिक्षा विभाग ने पुरानी योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र मांगे, तब पाया कि करीब एक करोड़ रुपये की योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं किए गए हैं। इसके बाद जब जांच शुरू की गई, तब बैंक स्टेटमेंट खंगालने के दौरान पता चला कि लड़कियों के लिए चलाई जा रही सेनेटरी नैपकिन योजनाओं की राशि लड़कों के खातों में भी ट्रांसफर की जाती रही है।

Sanitary Napkin Scam: जांच हुई शुरू

 Sanitary Napkin Scam
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लड़कियों के लिए चलाई जाने वाली सेनेटरी नैपकिन योजना का लाभ इस स्कूल में लड़कों को भी दिया जाता था। घोटाले के समय स्कूल में अशोक कुमार राय प्रधानाध्यापक थे। उन्‍होंने सेवानिवृत्त होने के बाद अब तक अपना प्रभार नव पदस्थापित प्रधानाध्‍यापक को नहीं सौंपा है।

स्कूल के नए प्रधानाध्यापक रईस उल एहरार खान ने इस बाबत जिला अधिकारी और शिक्षा विभाग को पत्र लिखा था, जिसके बाद जांच टीम का गठन कर दिया गया है। शिक्षा विभाग ने मीडिया को बताया है कि दोषियों को बक्शा नहीं जाएगा।

पहले Menstruation के दौरान भारत में 23M लड़कियां छोड़ देती हैं स्कूल

Rural India
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एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पहले Menstruation के दौरान 23 मिलियन लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं। कई बच्चियां पीरियड्स के दौरान पांच दिन तक स्कूल नहीं जाती हैं। कारण है पीरियड्स के दौरान कपड़े पर लगने वाला दाग। क्योंकि ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग सेनेटरी नैपकिन खरीदने में सक्षम नहीं है। भारत में 17% लड़कियां पीरियड्स से पहले तक पीरियड्स से अंजान रहती हैं। लड़कियां सेनेटरी नैपकिन खरीद सकें और अपने भविष्य को अंधकार में जाने से बचा सकें इसलिए सरकार इस तरह की योजनाएं चलाती है।

भारत में खराब आर्थिक स्थिति के कारण 88% महिलाएं नहीं इस्तेमाल करती हैं Sanitary Napkin

They Can't Buy
They Can’t Buy

Sanitary Protection: Every Woman’s Health Right नाम से की गई स्‍टडी में ये बात सामने आई थी कि अभी भी हमारे देश में 88 फीसदी महिलाएं सेनिटरी नैपकिंस का प्रयोग नहीं करती हैं। वे आज भी पुराने तरीकों जैसे कपड़े, अखबारों या सूखी पत्तियों का प्रयोग करती हैं. इसका कारण ये है कि वे सेनेट्री नैपकिंस को खरीदने में सक्षम नहीं हैं।

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