Allahabad HC: कर्मठ, योग्य, प्रभावी महाधिवक्ता की नियुक्ति करना, सरकार के लिए बनी चुनौती

Allahabad HC: खास मुकदमों में वरिष्ठ स्पेशल सीनियर पैनल अधिवक्ताओं को बहस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बावजूद कई मौकों पर सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दी।

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Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश का महाधिवक्ता केवल सरकार को कानूनी सलाह ही नहीं देता बल्कि आपराधिक अवमानना केस की अनुमति सहित कई कानूनी दायित्व भी निभाता है। इस पद पर सर्वथा ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जानी चाहिए जो व्यक्ति विधि क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योग्यता रखता हो तथा नैतिकता के मापदंड में भी सर्वश्रेष्ठ हो एवं उसके ऊपर पूर्व में किसी पद पर रहते हुए इसी प्रकार का आरोप न हों।

हालांकि सरकार इस दिशा में प्रयासरत है। जिसकी वजह से देरी हो रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 मई तक का समय राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट के हस्तक्षेप से सरकार पर महाधिवक्ता की समय से नियुक्त करने का दबाव और बढ़ गया है।

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Allahabad HC: अनुभवी और योग्‍य व्यक्ति का हो चयन

कोर्ट ने कहा कि यह देखना चाहिए कि व्यक्ति पद के लिए उपयुक्त है या नहीं।यह देखा जा रहा है कि पार्टी, संगठन द्वारा ऐसे कार्यकर्ताओं के नाम इस आधार पर बढ़ा दिए जाते हैं कि वह नजदीकी हैं। उनसे विभिन्न प्रकार के कार्य लिए जा सकते हैं। भले ही उन्होंने कभी अदालती कार्य न किया हो।

बार काउंसिल में पंजीकरण से अनुभव अवधि पर्याप्त होने के कारण बड़े दावेदार माने जाते हैं। ऐसे नाम बहुधा देखने को मिल रहे हैं। ऐसे अधिवक्ता न्यायालय के सामने लगातार सरकार की किरकिरी ही कराते रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि सरकारी वकीलों को राजकीय कोष से मानदेय दिया जाता है। इसलिए नियुक्ति में पारदर्शिता भी बेहद जरूरी है। यह कार्यकर्ताओं का समायोजन कर लाभ पहुंचाने का फोरम नहीं है।

Allahabad HC: सही सलाह नहीं मिलने पर हुआ नुकसान

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सरकार की पिछली पारी में महाधिवक्ता के साथ एक दर्जन अपर महाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता,एक दर्जन मुख्य स्थायी अधिवक्ता, दर्जनों अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम व सैकड़ों अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ताओं की फौज के अलावा आधे दर्जन वरिष्ठ अधिवक्ताओं को स्पेशल सीनियर पैनल अधिवक्ता नियुक्त किया गया था।

खास मुकदमों में वरिष्ठ स्पेशल सीनियर पैनल अधिवक्ताओं को बहस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बावजूद कई मौकों पर सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दी।दूसरी पारी में कानून मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री ने अपने हाथ में रखा है।उन्होंने राज्य विधि अधिकारियों की योग्यता की परख शुरू की थी। सम्मानजनक तरीके न अपनाने के कारण रोकना पड़ा। दावेदारों की भारी संख्या और संगठन का दबाव योग्य अधिवक्ता पैनल के गठन में आड़े आ रहा है।

कार्यकुशल अनुभवी महाधिवक्ता का चयन चुनौती बना है।पिछली पारी में भी कोर्ट की सख्ती के बाद आनन फानन में महाधिवक्ता की नियुक्ति कर दी गई।

Allahabad HC: उन्नाव केस सहित कई मामलों में हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। अब सरकार को सही दिशा देने में मदद करने वाले योग्य अनुभवी वरिष्ठ अधिवक्ता को महाधिवक्ता दायित्व सौंपने की चुनौती है। इस बार कोर्ट ने फिर दबाव बनाया है। गेंद सरकार के पाले में है।

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