Ganga Saptami 2023: पतित पावनी मां गंगा के जन्‍मोत्‍सव पर जानिए उनसे जुड़ी दिलचस्‍प बातें

Ganga Saptami 2023: प्रत्‍येक वर्ष वैशाख शुक्‍ल सप्‍तमी की तिथि गंगा सप्तमी के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन मां गंगा का जन्मोत्सव मनाया जाता है।मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन मां गंगा स्वर्ग में ब्रह्म देव के कमंडल से जन्मी थीं।

0
380
Ganga Saptami 2022
Ganga Saptami 2022

Ganga Saptami 2023: वैशाख शुक्ल की सप्तमी तिथि को ही गंगा सप्‍तमी मनाई जाती है। आज यानी गुरुवार को ही गंगा सप्तमी का पर्व भी है। ज्‍योतिषिय गणनाओं के अनुसार गंगा सप्‍तमी बेहद शुभ फल प्रदान करने वाली मानी जा रही है।

हिंदू पंचाग के अनुसार वर्ष में दो बार मां गंगा के विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। पहला गंगा सप्तमी और दूसरा गंगा दशहरा होता है। वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर गंगा सप्तमी और ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाने की परंपरा है। इन दोनों ही पर्वों का अपना-अपना महत्व है।गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के बीच क्या अंतर है जानिए यहां।

maa ganga 2
Lord Shiva

Ganga Saptami 2023: जानें शुभ योग

वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि शुरू – 26 अप्रैल 2023, सुबह 11 बजकर 27
वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि समाप्त – 27 अप्रैल 2023, दोपहर 01 बजकर 38

Ganga Saptami 2023: कौन हैं गंगा मां

maa ganga 5
Maa Ganga ji

गंगा भारत की सबसे बड़ी प्रमुख नदी है। पौराणिक कथाओं में इसे मां का दर्जा प्राप्‍त है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मां गंगा देवी थीं, जिनका जन्म ब्रह्माजी के कमंडल से हुआ था। दूसरी तरफ कुछ कथाओं के मुताबिक गंगा को पर्वतराज हिमालय और उनकी पत्नी मीना की पुत्री माना जाता है। शिवजी की पत्नी पार्वती भी हिमालय की पुत्री थीं, इस तरह से मां गंगा पार्वती की बहन हुईं।

Ganga Saptami 2023: जानिए गंगा सप्‍तमी का महत्‍व

Ganga Saptami 2023:प्रत्‍येक वर्ष वैशाख शुक्‍ल सप्‍तमी की तिथि गंगा सप्तमी के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन मां गंगा का जन्मोत्सव मनाया जाता है।मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन मां गंगा स्वर्ग में ब्रह्म देव के कमंडल से जन्मी थीं।
गंगा सप्‍तमी पर मां गंगा के पावन जल से सभी देव तृप्‍त हुए थे।
गंगा सप्तमी के दिन ही मां गंगा ने अपने जल से भगवान विष्णु की चरण वंदना कर बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त किया था।

Ganga Saptami 2023: जानिए गंगा दशहरा के बारे में

पतित पावनी मां गंगा का आगमन गंगा दशहरा के दिन पृथ्वी पर हुआ था।राजा भागीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा ने गंगा दशहरा पर पृथ्वी पर आकर महाराज भागीरथ के पूर्वजों को मुक्ति दिलाई थी।गंगा दशहरा के दिन मां गंगा ने पृथ्वी पर जाते समय भगवान शिव की जटाओं में अपने वेग को स्थापित किया था।

Ganga Saptami 2023: मां गंगा ने भगवान शिव की जटाओं में किया था प्रवेश

भगवान श्रीराम जी के वंशज इक्ष्वाकु वंश के राजा भागीरथ ने गंगा नदी को स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा कि गंगा के वेग को सिर्फ भगवान महादेव ही संभाल सकते हैं। इसलिए शिवजी ही गंगा को स्वर्ग से धरती पर ला सकते हैं। ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से गंगा की धारा छोड़ी और शिवजी ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेट लिया।

वैशाख शुक्ल सप्तमी को मां गंगा ने भगवान शिव की जटाओं में प्रवेश किया था। इसी दिन गंगा सप्तमी मनाई जाती है, 32 दिनों तक गंगा शिव की जटाओं में विचरण करती रहीं। फिर देवों और राजा भागीरथ के आग्रह पर शिवजी ने अपनी एक जटा को खोल दिया और मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इस दिन ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि थी, इसे गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

Ganga Saptami 2023: अविरल, शुद्ध और पापियों के पाप धोने वालीं हैं मां गंगा

maa ganga 7
Ganga Saptami 2022

पुराणों के अनुसार गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी पर जाकर स्नान,ध्यान तथा दान करना चाहिए, इससे मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है।

यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता,तब वह अपने घर के पास की किसी नदी पर मां गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करे और यह भी संभव नहीं हो तो मां गंगा की कृपा पाने के लिए इस दिन गंगाजल का स्पर्श और सेवन अवश्य करना चाहिए।

विष्णु पुराण में लिखा है कि गंगा का नाम लेने, सुनने, उसे देखने, उसका जल पीने,स्पर्श करने, उसमें स्नान करने तथा सौ योजन (कोस) से भी गंगा नाम का उच्चारण करने मात्र से मनुष्य के तीन जन्मों तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस दिन गंगाजल से जुड़े कुछ सरल उपाय करने से अनेक प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं।

संबंधित खबरें

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here