छठ पूजा (Chhath Puja) से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ हुई है। इस बार छठ 8 नवंबर को मनाई जा रही है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ये महापर्व शुरू हो जाता है। यह त्योहार खासतौर पर बिहार, पूर्वी उत्तर प्रेदश और झारखंड में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। ये व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है। छठ का पर्व दीवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है।
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इस बार 8 नवंबर को नहाए-खाए से छठ पूजा की शुरुआत होगी। 9 नवंबर को खरना होगा। पहला अर्घ्य 10 नवंबर को संध्याकाल में दिया जाएगा और अंतिम अर्घ्य 11 नवंबर
छठ महापर्व में सूर्यदेवता की उपासना की जाती है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है और पूरे चार दिन तक इसकी धूम रहती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है। नया कपड़ा पहनकर पूजा की जाती है। बाद में चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करती हैं। व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के बाकी सदस्य भोजन करते हैं।

नहाय-खाय के दिन भोजन करने के बाद व्रती अगले दिन शाम को खरना पूजा करती हैं। इस पूजा में महिलाएं शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं और इसी के साथ व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मईया) का आगमन हो जाता है।
क्या है कहानी?
एक विश्वास के मुताबिक भगवान राम और माता सीता ने रावण वध के बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को व्रत किया और सूर्यदेव की आराधना की और अगले दिन यानी सप्तमी को उगते सूर्य की पूजा की और आशीर्वाद प्राप्त किया। तभी से छठ मनाने की परंपरा चली आ रही है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की अराधना की जाती है। व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या जलाशयों के किनारे अराधना करते हैं। इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है।
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