Stay Positive: आप एक बार सोचिए कि आपके घर के बाहर एक बहुत ही सुंदर लॉन है। आप उसकी अच्छे से देखभाल करते हैं। आप सुबह-सुबह अपने सुंदर से लॉन में टहल रहे हैं। आपका पड़ोसी आता है और एक बाल्टी कचरा आपके लॉन में फेंक देता है। आपको कैसा महसूस होगा? हो सकता है कि आपके पड़ोसी से बहुत अच्छी मित्रता हो गई हो आप कुछ नहीं कहते हैं और एक बार उसे माफ कर देते हैं।
अपने लॉन की सफाई करवा देते हैं, लेकिन अगले दिन वह फिर आता है और एक बाल्टी कचरा फिर डाल देता है। क्या फिर आप उसे माफ कर देंगे। शायद नहीं। उसे समझाएंगे। भईया ऐसा मत करो, लेकिन अगर वह रोज आपके लॉन को गंदा करेगा तो आप उसने नहीं छोड़ेंगे। फिर जरा सोचिए, आपका जो शरीर है। जिसका आकलन किया गया कि इसे अगर बनाया जाए तो कम से कम 350 करोड़ रुपये की लागत आएगी, लेकिन उसमें जान नहीं होगी। उसमें आप सुबह से लेकर शाम तक कितना कचरा डाल रहे हैं सोचा है कभी आपने ? रोजमर्रा की जिंदगी में आप जो खाते हैं उससे हमें कितने फायदे मिल रहे हैं ? कि नुकसान हो रहा है। इसलिए सदैव संतुलित भोजन (Balanced Diet)के साथ अपनी सोच भी सकारात्मक (Positive Approach) रखने की आदत डालें।
कभी सोचा है, कि हमने कितने विटामिन लिए, Positive Appraoch के साथ सोचें
लाइफ कोच अशोक कुशवाहा का कहना है, कि हम सुबह उठते ही पहले चाय पीते हैं। कभी सोचा है कि चाय से हमें कितने विटामिन और मिनरल मिले ? फिर एक और चाय के साथ बिस्किट, नमकीन, पास्ता, मैगी, नूडल्स, ब्रेड। दोपहर हुआ तो फिर चाय के साथ समोसा, कुरकुरे, सिगरेट, गुटखा। शाम को फिर चाय के साथ नमकीन, बिस्किट, चिप्स, सिगरेट, गुटखा अंदर किया। शाम को घर आते हुए नूडल्स, बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक, मोमोज लेकर घर आ गए बच्चे भी खुश और परिवार भी।
आपने सोचा कभी कि इसमें से किस चीज से हमारे शरीर को विटामिन, प्रोट्रीन और मिनरल्स मिले। आप जानते हैं कि नहीं मिलते फिर भी आदत से मजबूर हैं। अगली बार जब आप खाइएगा जो जरूर सोचिएगा कि इससे हमारी सेहत बनेगी या बिगड़ेगी। अगर उत्तर आए बिगड़ेगी या इसको खाने से कोई भी फायदा नहीं है फिर इसको क्यों खाया जाए। आज हम कम खाने से नहीं बल्कि उल्टा सीधा खाने से ज्यादा बीमार होते हैं। इसलिए अगर स्वस्थ रहना है तो अपने आहार को ठीक करना होगा। तभी हम स्वस्थ रहेंगे। हमारा देश स्वस्थ रहेगा।
शरीर की रक्षा करना, Healthy Body का सबसे बड़ा धर्म
कहते हैं, कि पहला सुख निरोगी काया, वह खाइयेगा जिससे सेहत बने, ये हम नहीं कह रहे हैं। जब हमारा शरीर ही नहीं होगा तब हम क्या कर सकते हैं। इसलिए सबस पहले शरीर की रक्षा करना अपका सबसे बड़ा धर्म है।लाइफ कोच अशोक कुशवाहा का कहना है, कि आप भगवान को मानते हैं तो भगवान कृष्ण ने खुद श्रीमद्भगवद्गीता में बोला है अध्याय 17 का आठवां श्लोक है।
आयु: सत्त्वबलारोग्यसुखप्रीतिविवर्धना:। रस्या: स्निग्धा: स्थिरा हृद्या आहारा: सा्त्विवकप्रिया: ।। यानी आयु, बुद्धि, बल, आरोग्य, सुख और प्रीति को बढ़ाने वाले, रसयुक्त, चिकने और स्थिर रहने वाले (जिस भोजन का सार शरीर में बहुत काल तक रहता है, स्थिर रहने वाला कहते हैं) तथा स्वभाव से ही मन को प्रिय- ऐसे आहार अर्थात् भोजन करने के पदार्थ सा्त्विवक पुरुष को प्रिय होते हैं। जिन आहारों के करने से आयु बढ़ती हो सत्त्वगुण बढ़ता हो। शरीर, मन, बुद्धि में सा्त्विवक बल और उत्साह बढ़ता हो। शरीर निरोगी रहता है, सुख शांति मिलती है। जिसे देखने से ही प्रीति पैदा होती है। जो गरिष्ठ नहीं हो अपितु सुपाच्य हों और जिनका सार बहुत दिन तक शरीर में शक्ति प्रदान करे। हृदय और फेफड़े आदि को शक्ति देने वाले तथा बुद्धि आदि में सौम्य भाव लाने वाले फल, दूध, खांड आदि रसयुक्त पदार्थ — घी, मक्खन, बादाम, किशमिश? सा्त्विवक पदार्थों से निकले हुए तेल आदि बना भोजन अच्छा होता है। अच्छे पके हुए तथा ताजा हो। ऐसे भोजन सात्विक मनुष्य को सदैव प्रिय होते हैं।
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