उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 6 दिसंबर1992 को 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद के विध्वंस मामले में वरिष्ठ बीजेपी नेता लाल कृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित 13 अन्य लोगों पर आपराधिक साजिश आरोप हटाने के आदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई करते हुए सभी पक्षों को लिखित में अपना पक्ष रखने को कहा है कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी। इससे पहले इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस पीसी घोष और आरएफ नरीमन की पीठ ने इस साल 6 मार्च को कहा था कि तकनीकी आधार पर 13 व्यक्तियों को आरोपमुक्त किया गया था। वे तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त करना स्वीकार नहीं करेंगे और पूरक आरोपपत्र की अनुमति देंगे।
वैसे पहले इस मामले की सुनवाई बीते बुधवार को होनी थी, लेकिन मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस नरीमन छुट्टी पर थे, जिसके कारण सुनवाई आज हुई । इससे पहले सुप्रीम कोर्ट बाबरी विध्वंश मामले में अलग-अलग कोर्ट में चल रहे दो मामलों की सुनवाई एक साथ करने की बात भी कह चुकी है। पहला मामला विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में भाजपा नेताओं सहित 13 व्यक्तियों को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त करने का है। जिसकी सुनवाई रायबरेली की विशेष अदालत में हो रही है। जबकि दूसरा मामला अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है जो विवादित ढांचे के ईद–गिर्द थे। इस मुकदमे की सुनवाई लखनऊ में हो रही है। कोर्ट दोनों ही मुकदमों को लखनऊ लाने की बात कह चुकी है लेकिन वकीलों ने कहा कि दोनों मामलों में आरोपी अलग-अलग हैं। इसके अलावा अब यह सुनवाई अंतिम दौर में है।
गौरतलब है कि देश की सर्वोच्च अदालत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में वरिष्ठ भाजपा नेताओं सहित अन्य पर विध्वंस में साजिश रचने से जुड़े आरोपों को दोबारा लगाए जाने का आग्रह किया गया है। सीबीआई ने यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के उस फैसले के खिलाफ दायर की है, जिसमें वरिष्ठ नेताओं पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया गया था।