Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर के साइंटिफिक तरीके से ASI सर्वे की मांग को मंजूरी दे दी है। अब अदालत के इस फैसले से ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का रास्ता साफ हो गया है। दरअसल, शुक्रवार (21 जुलाई) को कोर्ट ने अपना फैलसा सुनाया जिसमें सर्वे के लिए मंजूरी दे दी गई है। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर की वैज्ञानिक विधि से जांच की मंदिर पक्ष की मांग स्वीकार की।
बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी मामले में 7 मुकदमे क्लब होने के बाद पिछली तारीख 14 जुलाई को दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी, जिस पर जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था।

Gyanvapi Case: शिवलिंग की कार्बन डेटिंग का मामला
मालूम हो कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का साइंटफिक विधि से ASI सर्वे की मांग को लेकर हिन्दू पक्ष ने प्रार्थना पत्र दिया था जबकि मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि हाईकोर्ट की रोक के बावजूद निचली अदालत हमारे विरोध को दर किनार कर फैसला सुना रही है। आपको बता दें कि इस केस में इसी साल मई महीने में पांच महिलाओं द्वारा श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। जिसके बाद ज्ञानवापी परिसर का सर्वेसखन किया गया था।
रिपोर्ट में एक ‘शिवलिंग’ की संरचना मिलने का जिक्र किया गया था। जिसे हिंदू पक्ष विशेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग बता रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। जिसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग और ASI सुर्वे की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई थी. इसी याचिका पर जिला अदलात ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया है।
हिंदू पक्ष के 5 बड़े दावे
- मुकदमा सिर्फ मां श्रृंगार गौरी के दर्शन-पूजन के लिए दाखिल किया गया है। दर्शन-पूजन सिविल अधिकार है और इसे रोका नहीं जाना चाहिए।
- मां श्रृंगार गौरी का मंदिर विवादित ज्ञानवापी परिसर के पीछे है। वहां अवैध निर्माण कर मस्जिद बनाई गई है।
- वक्फ बोर्ड ये तय नहीं करेगा कि महादेव की पूजा कहां होगी। देश की आजादी के दिन से लेकर वर्ष 1993 तक मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा होती थी।
- श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट में आराजी नंबर-9130 देवता की जगह मानी गई है। सिविल प्रक्रिया संहिता में संपत्ति का मालिकाना हक खसरा या चौहद्दी से होता है।
- ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में कथित शिवलिंग मिला है।
यह भी पढ़ें: