Supreme Court ने दलित छात्र के भविष्य के लिए संविधान के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए IIT Bombay से उसे 48 घंटे के भीतर प्रवेश देने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि छात्र के लिए अलग से सीट बनाई जाए और इसके लिए किसी दूसरे छात्र की सीट न ली जाए। दरअसल तकनीकी समस्या की वजह से छात्र अपनी फीस नहीं भर सका था। जिसकी वजह से उसे IIT में प्रवेश नहीं मिल सका था। दलित छात्र के दाखिले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप छात्र के प्रवेश को लेकर आप हमें बताए और हम मामले को ऐसे नहीं छोड़ सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनुच्छेद 142 के तहत दलित लड़के को आईआईटी बॉम्बे में सीट आवंटित करने का निर्देश दिया है।
जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़ (Dhananjaya Chandrachud) ने कहा कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है और उसके एडमिशन के लिए उसकी बहन ने पैसे दिए हैं। इसकी हकीकत को ध्यान रखते हुए उसके लिए एक सीट की व्यवस्था करनी होगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो हम आपके खिलाफ आदेश जारी करेंगे।
कोर्ट ने JOSAA को निर्देश दिया
वहीं संस्थान की तरफ से कहा गया कि कोई भी सीट नहीं बची हुई है और इस कारण छात्र को प्रवेश नहीं दिया जा सकता। Supreme Court ने ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी (JOSAA) को छात्र के लिए एक अतिरिक्त सीट निर्धारित करने का निर्देश दिया है।
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