Supreme Court ने बुधवार को शिवसेना में विद्रोह के कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट के संबंध में याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पर कड़े सवालों की झड़ी लगा दी। अदालत ने कहा कि राज्यपाल को किसी ऐसे क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जो उनके विश्वास मत के आह्वान पर सवाल उठाते हुए सरकार के पतन का कारण बनता है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ चंद्रचूड़ ने मेहता से पूछा, “क्या राज्यपाल विश्वास मत की मांग कर सकते हैं?सप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल की भूमिका को लेकर चिंता जाहिर की। CJI ने राज्यपाल से कहा कि उन्हें इस तरह विश्वास मत नहीं बुलाना चाहिए था। उनको खुद यह पूछना चाहिए था कि तीन साल तक सरकार चलने के बाद क्या हुआ?
लोकतंत्र की यह तस्वीर दुख देने वाली है: Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सवाल यह भी हैं कि क्या कोई राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने कहा कि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है? सुरक्षा के लिए खतरा विश्वास मत का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को उस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जहां उनके द्वारा की गई कार्रवाई से एक विशेष परिणाम निकले। कोर्ट ने यह भी विचार व्यक्त किया कि सरकार को गिराने में राज्यपाल स्वेच्छा से सहयोगी नहीं हो सकते। लोकतंत्र की यह तस्वीर दुख देने वाली है।
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