समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग का मामला, केंद्र ने Supreme Court में लोकाचार के अनुरूप नहीं बताया, अगली सुनवाई 18 अप्रैल को

Supreme Court: मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।इस मामले में संसद में ही बहस हो सकती है।

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Same Sex Marriage
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Supreme Court:समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग का मामले की सुनवाई सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई।याचिकाकर्ताओं ने केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय मांगा।कोर्ट ने कहा कि हम अप्रैल में मामले पर सुनवाई कर सकते हैं।सीजेआई ने पूछा कि केंद्र का क्या कहना है?याचिकाओं का विरोध करते हुए केंद्र की ओर से कहा गया कि यह “सामाजिक नैतिकता और भारतीय लोकाचार के अनुरूप नहीं है।हमारे हलफनामे में कहा गया है कि “भारतीय वैधानिक और व्यक्तिगत कानून शासन में विवाह की विधायी समझ” केवल एक जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच विवाह को संदर्भित करती है। इसमें कोई भी हस्तक्षेप “व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकृत सामाजिक मूल्यों के के नाजुक संतुलन का पूर्व विनाश होगा।

Supreme Court on Gay and Lesbian case
Supreme Court on Gay and Lesbian case.

Supreme Court: मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है

Supreme Court on Gay and Lesbian case.
Supreme Court

Supreme Court: मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि यह मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।इस मामले में संसद में ही बहस हो सकती है।उन्होंने कहा अगर समलैंगिक विवाह होता है और विवाहित जोड़ा एक बच्चे को गोद लेता है तो उस बच्चे की मानसिक अवस्था क्या होगी? ये भी समझने की जरूरत है। क्योंकि एक बच्चा महिला को मां के तौर पर और पुरुष को पिता के नजरिये से देखता है।
कुछ याचिकाकर्ताओं ने मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की मांग करते हुए कहा कि पूरे देश को पता होना चाहिए कि क्या सुनवाई चल रही है?सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई को लाइवस्ट्रीम करने की इजाजत दी। सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगा।सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच ने समलैंगिक विवाह मामले पर सुनवाई पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेजने की सिफारिश की। इसके साथ ही सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए याचिकाकर्ताओं को तीन हफ्ते का समय दिया।

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