Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा NJAC के रद्द किए जाने से सरकार खुश नहीं है।कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार अगर जजों की नियुक्ति पर बैठी रहेगी तो सिस्टम कैसे काम करेगा?जस्टिस कौल ने कहा की सरकार इसका समाधान करे। हमें न्यायिक पक्ष पर फैसला करने के लिए विवश ना करें।कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम के मसले पर अभी तक की मीडिया रिपोर्ट्स को नजरअंदाज करते हुए हम कुछ नहीं कह रहे हैं। आगे हम इस मसले पर कुछ नहीं करेंगे अब आप देखेंगे, अगर जरूरत हुई तो हमेशा फैसला जरूर ले सकते हैं।
कोर्ट ने एटर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा कि वे सरकार को यह सुनिश्चित करने कि सलाह दें कि देश के कानून का पालन किया जाए।जस्टिस संजय किशन कौल ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कह कि चीजें 1 दिन में भी हो सकती हैं और ना करने के लिए महीनों में भी नहीं होंगी।हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 8 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगा।
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Supreme Court: जानिए कॉलेजियम सिस्टम पर क्या बोले थे न्याय मंत्री?
Supreme Court: गौरतलब है कि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक निजी समाचार चैनल के साथ बातचीत के दौरान कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे।उन्होंने कहा था कि देश के लोग जजों को नियुक्त करने के लिए बने कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं।
जज आधा समय नियुक्तियों की पेचिदगियों में ही व्यस्त रहते हैं, इसकी वजह से न्याय देने की उनकी जो मुख्य जिम्मेदारी है उस पर असर पड़ता है।उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मदन बी लोकुर ने न्यायिक नियुक्तियों को लेकर रिजिजू के बयानों पर कड़ा रुख अपनाया था। पूर्व जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा था कि जहां तक न्यायिक नियुक्तियों पर फैसला करने में जजों के अधिक समय बिताने का सवाल है, तो शीशे के घरों में रहने वाले लोगों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। उन्होंने किरेन रिजिजू के ऐसे सवाल करने पर आश्चर्य भी जताया था।कहा था कि रिजिजू को नहीं पता कि वह क्या बात कर रहे हैं।
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