अयोग्य करार दिये गये राज्यसभा सांसद शरद यादव को फिलहाल सरकारी बंगला खाली नहीं करना होगा लेकिन उन्हें वेतन भत्ते नहीं मिलेंगे। सुप्रीम कोर्ट में शरद यादव ने कहा कि वो गुजारा भत्ता नही लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद बंगला रखने का आदेश पारित कर मामले का निस्तारण कर दिया।

कभी जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष रहे शरद यादव ने नहीं सोचा होगा कि दिल्ली में बंगले के लिए उन्हें कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ेंगे। अब शरद यादव को सुप्रीम कोर्ट से महज इतनी राहत मिली है कि वह सांसद के तौर पर अयोग्य करार दिये जाने के मामले में कोर्ट का फैसला आने तक सरकारी बंगले में रह सकेंगे। उधर सुप्रीम कोर्ट में शरद यादव ने कहा कि वह सांसद के तौर पर मिलने वाला कोई वेतन भत्ता नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के जज ए के गोयल और अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ ने ये फैसला दिया। गुरुवार (7 जून) को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से भी कहा कि वह 12 जुलाई को मामले की सुनवाई करे।

इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी। हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में शरद यादव को सरकारी बंगले में रहने और वेतन भत्ते जारी रखने का आदेश दिया था। हालांकि हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर फैसला शरद यादव के खिलाफ आता है तो उनको सभी सुविधाओं के लिए भुगतान करना होगा। जेडीयू के चीफ व्हिप रामचन्द्र प्रसाद सिंह ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने रामचंद्र प्रसाद सिंह की याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए शरद यादव को नोटिस जारी किया था। अपनी याचिका में रामचंद्र प्रसाद सिंह की तरफ से कहा गया था कि शरद यादव और अली अनवर ने पटना में विपक्षी पार्टी की रैली में हिस्सा लेकर पार्टी के सिद्धांतों को तोड़ा है। शरद यादव की तरफ से अदालत में दलील दी गई थी कि उन्हें राज्यसभा में अध्यक्ष ने अपनी बात कहने का मौका नहीं दिया और उनकी सदस्यता रद्द कर दी।

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