समलैंगिक विवाह मामले की सुनवाई के दौरान बोले CJI- ”यह संबंध शारीरिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक मिलन भी है”

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Same Sex Marriage
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवीई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक शादी को मान्यता देने के मामले मे सुनवाई की रूपरेखा तय करते हुए कहा कि हम इस मामले की सुनवाई भी अयोध्या मामले की तरह करेंगे। उन्होने कहा हम इस मामले में सिर्फ यह देखेंगे कि क्या स्पेशल मेरिज एक्ट में समान लिंग शादी की व्याख्या की जा सकती है या नहीं?

CJI चंद्रचूड़ ने मामले में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी करते हुए कहा समलैंगिक संबंध एक बार का रिश्ता नहीं है। अब समलैंगिक रिश्ते हमेशा के लिए चलने वाले हैं। इतना ही नहीं यह संबंध शारीरिक ही नहीं बल्कि भावनात्मक मिलन भी है। उन्होंने कहा कि समलैंगिक शादी को मान्यता देने के मामले में स्पेशल मेरिज एक्ट के दायरे का विस्तार करना गलत नहीं होगा।

वहीं वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने मामले में याचिकाकर्ता काजल की ओर से दलील देते हुए केंद्र सरकार की उस दलील का विरोध किया जिसमें कहा गया कि समलैंगिक संबंध एक अभिजात वर्ग की उपज है।

उन्होंने कहा मैं अमृतसर की एक दलित महिला हूं और भावना चंडीगढ़ की OBC हैं। उनके परिवार साधारण हैं। उनको अर्बन एलीट तो कतई नहीं माना जा सकता। ऐसे में केंद्र सरकार की ये अर्बन एलीट यानी शहरी संभ्रांत मानसिकता वाली दलील काल्पनिक और असंवेदनशील है।

उन्होंने कहा कि अपनी सुरक्षा के लिए लड़कियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में सुरक्षा मुहैया कराने की गुहार लगाते हुए याचिका दाखिल की। जिस पर हाईकोर्ट ने उन्हें संरक्षण प्रदान किया। हाई कोर्ट का उनको समाज और परिवारों से सुरक्षा और संरक्षा का मतलब उनके विवाह को कानूनी मान्यता मिलना ही है।

समलैंगिक शादी को मान्यता देने के मामले में सुनवाई के दौरान सोशल मीडिया पर ट्रोल करने पर चिंता जताते हुए CJI ने कहा कि कोर्ट में सुनवाई के दौरान व्यक्त किए गए विचारों पर उन्हें ट्रोल किया गया। CJI ने कहा यह जजों के लिए चिंता का विषय है कि जज जो विचार व्यक्त करते हैं या टिप्पणी करते हैं उसका जवाब ट्रोल्स में होता है।

उन्होंने कहा शादीशुदा जोड़े में भी घरेलू हिंसा होती है। पति नशे में धुत होकर जब पत्नी को पीटता है तब उनके बच्चे पर क्या असर होता होगा? उन्होंने कहा कि यह कहने पर भी मैं ट्रोल हो सकता हूं।

दरअसल मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान CJI ने कहा था कि पुरुष और महिला की परिभाषा सिर्फ शारीरिक बनावट पर या जैविक रूप से मिले उसके शरीर से तय नहीं होती ब्लकि उनकी मनोस्थिति पर भी निर्भर होती है। इसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया गया था।

CJI ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि समान्य शादीशुदा जोड़े भी अब शिक्षा के प्रसार और आधुनिक युग के दबाव के चलते या तो निःसंतान हैं या एक बच्चा चाहते हैं। आज के युवा और उच्च शिक्षित लोग बच्चे नहीं चाहते,यह पसंद की बात है। सुप्रीम कोर्ट में 24 अप्रैल को अब मामले पर सुनवाई होगी।

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