कठुआ गैंगरेप और हत्या मामले मे अभियोजन पक्ष को चार्जशीट दायर करने में रुकावट पैदा करने के मामले में जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपना हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा है कि 9 अप्रैल को जब आरोप पत्र दाखिल हो रहा था उस वक्त वहां शोर-शराबा और नारेबाजी हो रही थी। इसका जिक्र मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में भी किया और कहा कि वो शोर और वकीलों के प्रदर्शन की वजह से कोर्ट में आरोपपत्र को स्वीकार नहीं कर पाए। हलफनामे में ये भी कहा गया है कि आरोपी को भी कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका, इसलिए उसकी पेशी घर पर कराई गई। इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रदर्शनकारियों ने आरोपियों को वैन से बाहर नहीं आने दिया।
दूसरी तरफ इस मामला में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। एसोसिएशन ने हलफनामा में पीड़िता के वकील पर अन्य वकीलों द्वारा हमला करने और धमकाने के आरोपों को निराधार और गलत बताया है। साथ ही पूरे मामले में मीडिया की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि वकीलों को गलत तरीके से रेप करने वाले आरोपियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले के रूप में दिखाया गया।
कठुआ गैंग रेप मामला में सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर बार काउंसिल ऑफ इंडिया, जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, बार कॉउंसिल ऑफ जम्मू कश्मीर और कठुआ जिला बार एसोसिएशन से जवाब मांगा था। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी वकील को केस में पीडित या आरोपी के लिए पेश होने से रोका गया तो ये कानून में दखल देना होगा। मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया की कमिटी ने भी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में दायर की थी। गुरुवार (26 अप्रैल) को मामले की सुनवाई है।
इसी मामला में मुख्य आरोपी सांझी राम ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की सुनवाई जम्मू कश्मीर से बाहर ट्रांसफर किये जाने की मांग का विरोध किया है। सांझी राम ने याचिका में मांग की है कि केस को जम्मू से किसी दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने से पहले मामले में उसका पक्ष भी सुना जाए। सांझी राम ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि उसे इस पूरे मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है।