सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 37 अतिरिक्त न्यायाधीशों को स्थायी जज नियुक्त करने की सिफारिश की है। कॉलेजियम की सिफारिशों में कहा गया है कि कुछ नामों की सिफारिशों के खिलाफ न्याय विभाग और प्रधान न्यायाधीश को कुछ शिकायतें मिली थीं लेकिन कोलेजियम ने इस तरह के आरोपों पर ध्यान देने से इनकार कर दिया। ये नियुक्तियां पांच हाईकोर्ट से जुड़ी हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जिन अपर न्यायाधीशों को स्थायी करने की सिफारिश की गई हैं उनमें जस्टिस राजुल भार्गव, जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा, जस्टिस संगीता चंद्र, जस्टिस दया शंकर त्रिपाठी, जस्टिस शैलेंद्र कुमार अग्रवाल, जस्टिस संजय हरकोली, जस्टिस कृष्णा प्रताप सिंह, जस्टिस रेखा दीक्षित और जस्टिस सत्य नारायण अग्निहोत्री शामिल हैं। साथ ही कॉलेजियम ने जस्टिस वीरेंद्र कुमार-द्वितीय को 15 नवंबर, 2018 से एक साल की एक नई अवधि के लिए अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर फिर से नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। कोलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति कुमार के कार्य को कुछ और समय के लिए देखा जाए।

राजस्थान उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किए जाने वाले न्यायाधीशों में जस्टिस गंगा राम मूलचंदानी, जस्टिस दीपक माहेश्वरी, जस्टिस विजय कुमार व्यास, जस्टिस गोवर्धन बरधारी, जस्टिस पंकज भंडारी, जस्टिस दिनेश चंद्र सोमाणी, जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा, जस्टिस डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी, जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर शामिल हैं।

केरल उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किए जाने वाले न्यायाधीशों में जस्टिस  सतीश नैनन, जस्टिस देवान रामचंद्रन, जस्टिस पी सोमराजन, जस्टिस वी शर्सी, और जस्टिस ए एम बाबू शामिल हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय में जस्टिस के जे थाकेर, जस्टिस आरपी ढोलरिया, जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री, जस्टिस बिरन ए वैष्णव, जस्टिस अल्पेश वाई  कॉगज, जस्टिस अरविंद सिंह सुपिया औऱ जस्टिस बी एन करिया को स्थायी जज बनाने की सिफारिश की गयी है। कोलेजियम ने स्पष्ट किया कि जस्टिस के जे थाकेर इलाहाबाद हाईकोर्ट में कार्य करना जारी रखेंगे।

इसके अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश देव नाइक, जस्टिस मकरंद सुभाष कर्णिक, जस्टिस स्वप्न संजीव जोशी, जस्टिस किशोर कालेश सोनवणे, जस्टिस संगीतराव शामराव पाटिल, और जस्टिस नूतन दत्ताराम सरदेसाई को स्थायी न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की गयी है।

जहां तक इनमें कुछ नामों के खिलाफ शिकायत मिलने का मामला है तो कॉलेजियम ने कहा कि उपरोक्त शिकायतों में हमें कोई योग्यता नहीं दिखाई देती क्योंकि इसमें किए गए आरोप झूठे, तुच्छ या बिना किसी सबूत के हैं। हमारे विचार में, ये शिकायतें  विशेष रूप से, सकारात्मक सामग्री के प्रकाश में  नजरअंदाज करने की हकदार हैं।

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