Marital Rape अपराध या नहीं? दिल्ली हाईकोर्ट के जजों का अलग-अलग फैसला

केंद्र सरकार ने 2017 के हलफनामे में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग वाली याचिका का विरोध किया था। इसके विपरीत, सरकार ने 12 जनवरी 2022 को दायर अपने नए हलफनामे में कहा कि उन्होंने विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे हैं, क्योंकि सरकार आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन करने की प्रक्रिया में है।

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Delhi High Court on Embryo abort
Delhi High Court

Marital Rape: दिल्ली उच्च न्यायालय के जजों ने आज वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के मुद्दे पर अलग-अलग फैसला सुनाया, साथ ही पक्षों को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर करने की अनुमति दी। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने वैवाहिक बलात्कार अपवाद को रद्द करने का समर्थन किया है, तो वहीं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत पति को मिली छूट असंवैधानिक है। इसे खत्म किया जाना चाहिए। ऐसे में दोनों जजों के अलग-अलग फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है।

बता दें कि याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी (बलात्कार) की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार अपवाद की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है।

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Delhi High Court verdict on Marital Rape

Marital Rape: 2015 में दायर की गई थी जनहित याचिका

बता दें कि हाईकोर्ट 2015 में गैर-लाभकारी आरआईटी फाउंडेशन, अखिल भारतीय लोकतांत्रिक महिला संघ और दो व्यक्तियों द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला किया है। जिन्होंने भारतीय बलात्कार कानूनों में अपवाद को इस आधार पर समाप्त करने की मांग की थी कि यह विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करता है। उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया।

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Delhi High Court verdict on Marital Rape

Marital Rape: केंद्र ने किया था याचिका का विरोध

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2017 के हलफनामे में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण की मांग वाली याचिका का विरोध किया था। इसके विपरीत, सरकार ने 12 जनवरी 2022 को दायर अपने नए हलफनामे में कहा कि उन्होंने विभिन्न हितधारकों से सुझाव मांगे हैं, क्योंकि सरकार आपराधिक कानूनों में व्यापक संशोधन करने की प्रक्रिया में है।

वहीं हाईकोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के मामले में पक्ष रखने के लिए बार-बार समय मांगने पर केंद्र सरकार के रवैये पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी। हाईकोर्ट ने केंद्र को समय देने करने से मना करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने वैवाहिक बलात्कार अपराधीकरण पर अपना निर्णय सुना दिया है।

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