Delhi High Court: विसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2014 को लागू करने की मांग को लेकर दायर याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस एक्ट को लागू करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा, कि कानून बनाना और उसे लागू करना संसद का काम है।
कोर्ट इसके लिए संसद को कोई निर्देश नहीं दे सकती है। दरअसल भ्रष्टाचार उजागर करने वालों की सुरक्षा (Safety) से जुड़ा कानून यह बिल फरवरी 2014 में ही संसद से पारित हो चुका है। बिल को संसद से पास हुए लगभग 7 साल हो चुके हैं, बावजूद इसके सरकार इसे नोटिफाई नहीं कर पाई है। इसकी वजह से यह कानून लागू नहीं हो पाया है। हालांकि सरकार इस कानून में कुछ बदलाव करना चाहती है। इसके संशोधन का प्रस्ताव भी संसद में लंबित है।

Delhi High Court: कानून बनाना और लागू करना संसद का काम
इस मामले में हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि राज्य विधानमंडल लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है और कानून बनाना और उसे लागू करना संसद या राज्य विधानमंडल के अधीन है। कानून और कुछ नहीं बल्कि लोगों की इच्छा है और वे राज्य विधानमंडल लोगों की इच्छा को बल प्रदान कर रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि हम संसद के संप्रभु कार्य के लिए नोटिस जारी नहीं कर सकते। अदालत वर्तमान में गुरु तेग बहादुर अस्पताल में तैनात फ्रंटलाइन कोविड-19 वर्कर वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहम्मद अजाजुर रहमान की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें केंद्र को व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
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