Allahabad HC ने गलत बैनामे के मामले को अन्य जांच एजेंसियों को स्थानांतरित करने के लिए दाखिल याचिका को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया है। कोर्ट के निर्देश के अनुसार, याचिकाकर्ता को हर्जाना राशि Bulandshahr के जिलाधिकारी के पास जमा करनी होगी। बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति Ashwani Kumar Mishra तथा न्यायमूर्ति Ajay Tyagi की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता राम किशन की याचिका पर दिया है।
क्या है पूरा मामला
रामपाल नाम के एक व्यक्ति के नाम पर 17 प्लाट थे। 20 अप्रैल 1974 में उसकी मौत के बाद याचिकाकर्ता व अन्य के नाम वारिस के तौर पर दर्ज किए गए थे। मामले में विजेंद्र आदि लोगों ने अर्जी दी थी कि रामपाल की वसीयत के असली वारिस वे हैं। वे रामपाल की पुत्री के वारिस हैं और उनका नाम अभिलेख में दर्ज हो। जिसके बाद यह अर्जी 11 दिसंबर 2017 को निरस्त कर दी गई थी और इसका आधार यह लिया गया था कि रामपाल की पुत्री शीशो उसकी मौत से पहले ही मर चुकी थी।
जिसके बाद गोविंद सहाय ने रामपाल की जमीन का अपने नाम का बैनामा पेश कर दाखिल-खारिज करने की मांग की थी। बैनामे को फर्जी होने का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ता व अन्य लोगों ने सिविल वाद दायर कर निषेधाज्ञा की मांग की और मामले को लेकर फर्जी बैनामा व धमकाने के आरोप में कोतवाली सिटी में एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी।
Allahabad HC: 1969 को हुआ बैनामा 2017 में कराया गया तैयार
FIR में कहा गया, 6 मार्च 1969 को हुआ बैनामा 2017 में तैयार कराया गया है। stamp paper रामपाल या गोविंद सहाय के नाम नहीं है। धमकाने पर याचिकाकर्ता ने 19 मार्च 2018 को एफ.आई.आर. दर्ज कराई थी। जिसके बाद पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट पेश की थी। हालांकि मामले में मजिस्ट्रेट ने पुनर्विवेचना का निर्देश दिया था।
पुलिस ने फिर फाइनल रिपोर्ट पेश की तो क्षेत्राधिकारी ने फिर से विवेचना का आदेश दिया। तीसरी बार भी पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट पेश की कि जो मामला मजिस्ट्रेट के समक्ष विचाराधीन है। इसी मामले को लेकर याचिका दायर की गई कि पुलिस सही विवेचना नहीं कर रही है। इसलिए सी बी आई या सी आई डी को विवेचना स्थानांतरित की जाए। कोर्ट ने हर्जाने के साथ यह याचिका खारिज कर दी है।
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