Allahabad HC: अवमानना के आरोपी लिपिक को देना होगा 24 घंटे में कारण बताओ नोटिस का जवाब, HC का आदेश

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Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) ने बुलंदशहर की जिला अदालत में लिपिक विक्रम शर्मा को 5 मार्च को दोबारा पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद नैनी जेल से कोर्ट में शुक्रवार को पेश किया। कोर्ट ने उन्हें 24 घंटे में कारण बताओ नोटिस (Show cause Notice) का जवाब दाखिल करने का समय दिया है।
ये आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने शर्मा के खिलाफ आपराधिक अवमानना केस की सुनवाई करते हुए दिया है। इससे पहले कोर्ट ने शर्मा को अदालत में समर्पण करने का निर्देश देते हुए कहा था, कि समर्पण न करने पर जनपद न्यायाधीश बुलंदशहर ने कड़े कदम उठाते हुए अभिरक्षा में लेकर कोर्ट में पेशी सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

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Allahabad HC: आरोपी ने कई बार नहीं दिया नोटिस का जवाब

मालूम हो कि विक्रम शर्मा को 24 मई 18 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। बावजूद इसके आदेश का पालन नहीं किया गया। जमानती वारंट जारी किया गया, तो 26 सितंबर18 को उसकी तरफ से वकील ने जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट में बहस के लिए कभी हाजिर नहीं हुए, तो कोर्ट ने 16 जनवरी 19 को शर्मा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर पेश करने का आदेश दिया।

पुलिस ने आरोपी को पकड़कर पेश किया, तो जवाब दाखिल करने के लिए फिर समय मांगा। जेल से कोर्ट में पेश करने के बाद भी नोटिस का जवाब नहीं दिया। 17 जुलाई 19 को अलीगढ़ जिला जेल से कोर्ट में पेश किया गया। जवाब के लिए फिर समय मांगा। 23 अक्टूबर19 को भी जवाब दाखिल करने का फिर एक बार मौका दिया गया। एक अक्टूबर 20 को वकील ने बताया कि वह जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

Allahabad HC: जमानती वारंट जारी किया
कोर्ट ने 28 जनवरी 21 को जमानती वारंट जारी किया। वकील ने आदेश वापस लेने की अर्जी दी। इसके बाद कई तारीखों पर बीमारी की स्लिप देकर सुनवाई टलवाते रहे। 28नवंबर 21 को गैर जमानती वारंट जारी किया गया। बीती 6 जनवरी 22 को कार्यालय रिपोर्ट में बताया,कि आरोपी दिए गए पते से लापता है।
इस पर कोर्ट ने जिला जज को सीजेएम के मार्फत सर्विस रिकार्ड में दर्ज पते पर तलाश कर तीन हफ्ते के अंदर जानकारी देने का निर्देश दिया। एसएसपी को निर्देश दिया गया कि गिरफ्तार कर तीन फरवरी 22 को पेश करें।
इसके बावजूद शर्मा न तो एसएसपी के पास हाजिर हुआ और न ही कोर्ट में पेश हुआ।

दिल्ली में अपने वकील के चेंबर से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुआ। कोर्ट ने कहा कि शर्मा जानबूझकर कोर्ट आदेश का पालन नहीं कर रहा है। इस पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और नैनी सेंट्रल जेल प्रयागराज से पुलिस टीम ने कोर्ट में पेश किया।

Allahabad HC: जौनपुर के डीएम को 15 दिन में करें आदेश का पालन

Allahabad HC: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर मनीष कुमार वर्मा को 15 दिन में आदेश पालन करने का अंतिम मौका दिया है। कहा है, कि आदेश का पालन करें या 4 अप्रैल को हाजिर हों।
कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी हाईकोर्ट का अपीलीय प्राधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या करने का उन्हें अधिकार नहीं है, और न ही वे अपने जवाबी हलफनामे के विपरीत स्टैंड ले सकते हैं। कोर्ट आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल नहीं की गई। आदेश अंतिम हो गया। जिसकी अवहेलना कोर्ट की अवमानना करना है।

DM Jaunpur
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ये आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने चंद्रमणि की अवमानना याचिका पर दिया है।याचिका पर वकील आरएन यादव और अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। हाईकोर्ट ने कहा, था कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम नहीं ले सकता। ऐसे कर्मी विनियमितीकरण के हकदार हैं। कोर्ट ने नियमित करने से इंकार के आदेश को रद्द करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर की गई है।

Allahabad HC: कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया

याची जिला विकास कार्यालय जौनपुर में 1992 से इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत है। नियमित वेतन भुगतान भी किया जा रहा है। सेवा के 29 साल गुजरने के बाद भी सेवा नियमित करने की मांग की, जो 22 मार्च 2018 को अस्वीकार कर दी गई। जिसे चुनौती दी गई। कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया है।
अब जिलाधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि राम अंजोर कलेक्ट्रेट में कार्यरत था। उसे राजस्व विभाग के मजदूरी बजट से वेतन दिया जाता था। उसे नियमित कर लिया गया है। याची को विकास भवन के कंटिंजेंसी फंड से वेतन दिया जाता था। वह नियमित किये जाने का हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा आदेश से पहले जवाबी हलफनामे में यह बात नहीं कही थी ।अब बहाना लेने का अधिकार नहीं है। आदेश का पालन करें या हाजिर होने का कोर्ट ने निर्देश दिया है।

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