देश में बीच-बीच में यह बहस होती रहती है कि कानून में मौत की सज़ा का प्रावधान होना चाहिए या नहीं लेकिन फिलहाल मौत की सज़ा बरकरार है। अब एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके मताबिक देश में 2017 के अंत तक मौत की सजा पाए कुल 371 कैदी हैं जो 2016 से कम हैं।  2016 में 399 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। यह आंकड़े ‘भारत में मौत की सजा, वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट’ के दूसरे संस्करण में सामने आए हैं। इसे नेशनल लॉ विश्वविद्यालय, दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।

इस रिपोर्ट को बड़े पामाने पर रिसर्च के बाद तैयार किया गया है। इसे तैयार करने के लिए RTI के तहत 200 आवेदन अलग-अलग जगह भेजे गए थे जिसके जरिए जानकारी जुटाई गई। यह आवेदन देशभर के राज्यपालों के ऑफिस, हाईकोर्ट, गृह विभाग और सभी जेलों को भेजे गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक देश में 31 दिसंबर, 2017 तक मौत की सजा पाए कैदियों की कुल संख्या 371 है इनमें सेशन कोर्ट से 109 लोगों को मिली सजा भी शामिल है।

अगर राज्यवार बात करें तो 2017 में मौत की सजा सुनाए जाने के कर्नाटक में 23, उत्तर प्रदेश में 19, तमिलनाडु में 13, बिहार में 11 और राजस्थान में आठ, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में छह-छह मामले हुए। 2017 में असम, दिल्ली, गुजरात, ओडिशा, तेलंगाना और त्रिपुरा में एक भी ऐसी सजा नहीं दी गई।

साल 2017 में 53 लोगों को हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई और 43 लोगों को यौन हिंसा से जुड़ी हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सज़ा पर केवल एक अपील का फैसला किया। यह मामला 2012 का निर्भया दिल्ली गैंगरेप मामला था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के मार्च 2014 के चार दोषियों को मौत की सजा के फैसले को बरकरार रखा।

राष्ट्रपति के पास गई दया याचिकाओं की बात करें तो 2017 में देश के राष्ट्रपति ने 9 दया याचिकाओं का निपटारा किया। इनमें से 5 को खारिज किया गया और 4 में सजा को कम कर दिया गया।

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