Gopi Chand Narang Death: उर्दू साहित्य के मशहूर साहित्यकार Gopi Chand Narang इस दुनिया में नहीं रहे। इस बात की जानकारी उनके बेटे की तरफ से दी गई है। उन्होंने अमेरिका में अपनी अंतिम सांसें ली। बताया जा रहा है कि वो काफी समय से बीमार थे। नारंग उर्दू साहित्य के लिए देश से लेकर विदेश तक जाने जाते थे।
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उन्हें उर्दू साहित्य में असीम योगदान के लिए पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था। नारंग का जन्म 11 फरवरी 1931 में बलूचिस्तान के दुक्की में हुआ था। 91 साल के नारंग कई सालों से अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में रह रहे थे।
Gopi Chand Narang Death: उल्लेखनीय है उनका साहित्यिक योगदान
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गोपी चंद नारंग ने अपने साहित्यिक सफर में 57 किताबें लिखी थीं। हिंदी और उर्दू के अलावा बलोची और पश्तो समेत छह भारतीय भाषाओं पर भी उनकी कमाल की पकड़ थी। उन्होंने उर्दू ही नहीं, हिंदी व अंग्रेजी में भी किताबें लिखी थीं। अमीर खुसरो का हिंदवी कलाम, उर्दू अफसाना रवायत, मसायल, इकबाल का फन और जदीदियत जैसी उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं। आज वो भले ही हमारे बीच न रहे हों पर उनकी अमर रचनाएं हमेशा जिंदा रहेंगी।
Gopi Chand Narang Death: दिल्ली विश्वविद्यालय से की ग्रेजुएशन
उर्दू साहित्य के मशहूर लेखक नारंग ने DU के सेंट स्टीफन कॉलेज से पढ़ाई की थी। बाद में उन्होंने बतौर शिक्षक भी यहीं पर काम किया था। भारत के पद्म भूषण पुरस्कार के अलावा उन्हें पकिस्तान के तीसरे सर्वोच्च अंलकरण ‘सितार ए इम्तियाज’ से भी नवाजा जा चुका है।
उन्होंने 1954 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उर्दू में पीजी करने के बाद शिक्षा मंत्रालय से स्कॉलरशिप लेकर 1958 में अपनी पीएचडी पूरी की। प्रो. नारंग ने सेंट स्टीफेंस कॉलेज में उर्दू साहित्य पढ़ाना शुरू किया। कुछ समय बाद वह दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग से जुड़ गए।
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साल 1963 में उन्होंने विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर विस्कॉनसिन यूनिवर्सिटी में पद भार संभाला था। बाद में उन्होंने नॉर्वे की ओस्लो यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया था।
1974 में नारंग ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष का पद संभाला था। यहां उन्होंने करीब 12 साल तक छात्रों को पढ़ाया था। इसके बाद नारंग ने 1986 में दोबारा दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। यहां वह 1995 तक कार्यरत रहे। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय ने इन्हें 2005 में प्रोफेसर एमेरिटस बनाया था।
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