राजनीति से लेकर क्रांति तक… पढ़ें Baba Nagarjuna की लिखी 5 कविताएं

0
496
Baba Nagarjuna
Baba Nagarjuna

Baba Nagarjuna हिंदी के अब तक के सबसे बहुमुखी कवियों में से एक थे। उनकी कविताओं में जिस आत्मीयता का स्तर है, उसके लिए उन्हें अक्सर संत कबीर के समान आसन पर बिठाया जाता है। मोटे तौर पर देखा जाए तो नागार्जुन की कृतियों में हिंदी काव्य परंपरा जीवंत हो उठती है। राजनीति से लेकर पौराणिक कथाओं और क्रांति तक, लोगों के कवि ने इस स्तर को बखूबी छुआ है। इतने व्यापक दृष्टिकोण वाले कवि ने ग्रामीण वर्ग की चिंताओं और संघर्षों से सीधे जुड़ाव और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ से अपनी एक लोक पहचान भी स्थापित की है।

नागार्जुन ने भारतीय मानस और अपने विषय को सच्चे रूप में समझने के लिए अपने आंतरिक ‘यात्री’ का इस्तेमाल किया। उन्होंने मैथिली, हिंदी और संस्कृत के अलावा, बांग्ला, सिंहली और तिब्बती जैसी विभिन्न भाषाओं में कई रचना की।
नागार्जुन ने अपनी कविताओं के भाव को हमेशा वास्तविक और सरल रखा है। अपने कार्यों में तात्कालिकता के उनके उपयोग ने आलोचना का एक अच्छा हिस्सा तैयार किया है। बाबा नागार्जुन की कविताओं को लोकतंत्र के सबसे बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है। उनकी कई प्रसिद्ध कविताओं जैसे ‘इन्दु जी, इन्दु जी क्या हुआ आपको’ और ‘आओ रानी, ​​हम ढोएंगे पालकी’ द्वारा किए गए प्रभाव इस तथ्य के प्रमाण हैं। बाबा नागार्जुन कई मायनों में एक सरल और आक्रामक कवि थे।

download 2022 06 11T151328.456
Baba Nagarjuna

कवि नागार्जुन का अकाल और उसके बाद भूख और त्रासदी के दर्द पर सबसे बड़ी कविताओं में से एक है कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास, कई दिनों तक कनि कुटिया सोया उसके पास। नागार्जुन की विलक्षणता और आक्रामकता आज कहीं अधिक प्रासंगिक है। वह एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां दूसरे कवियों ने पैर रखने की हिम्मत की है। हालांकि, दुखद बात यह है कि उन्हें कई अन्य लोगों की तरह उनका उचित हिस्सा नहीं मिला है।

Baba Nagarjuna की 5 प्रमुख कविताएं

‘इन्दु जी, इन्दु जी क्या हुआ आपको’

क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?
सत्ता की मस्ती में
भूल गई बाप को?
इन्दु जी, इन्दु जी, क्या हुआ आपको?
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!
क्या हुआ आपको?
क्या हुआ आपको?

आपकी चाल-ढाल देख-देख लोग हैं दंग
हकूमती नशे का वाह-वाह कैसा चढ़ा रंग
सच-सच बताओ भी
क्या हुआ आपको
यों भला भूल गईं बाप को!

छात्रों के लहू का चस्का लगा आपको
काले चिकने माल का मस्का लगा आपको
किसी ने टोका तो ठस्का लगा आपको
अन्ट-शन्ट बक रही जनून में
शासन का नशा घुला ख़ून में
फूल से भी हल्का
समझ लिया आपने हत्या के पाप को
इन्दु जी, इंदु जी क्या हुआ आपको
बेटे को तार दिया, बोर दिया बाप को!

बचपन में गांधी के पास रहीं
तरुणाई में टैगोर के पास रहीं
अब क्यों उलट दिया ‘संगत’ की छाप को?
क्या हुआ आपको, क्या हुआ आपको
बेटे को याद रखा, भूल गई बाप को
इन्दु जी, इन्दु जी क्या हुआ आपको

रानी महारानी आप
नवाबों की नानी आप
नफ़ाख़ोर सेठों की अपनी सगी माई आप
काले बाज़ार की कीचड़ आप, काई आप

सुन रहीं गिन रहीं
गिन रहीं सुन रहीं
सुन रहीं सुन रहीं
गिन रहीं गिन रहीं
हिटलर के घोड़े की एक-एक टाप को
एक-एक टाप को, एक-एक टाप को

सुन रहीं गिन रहीं
एक-एक टाप को
हिटलर के घोड़े की, हिटलर के घोड़े की
एक-एक टाप को…
छात्रों के ख़ून का नशा चढ़ा आपको
यही हुआ आपको
यही हुआ आपको

‘आओ रानी, ​​हम ढोएंगे पालकी’

आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी,
यही हुई है राय जवाहरलाल की
रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की
यही हुई है राय जवाहरलाल की
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!

आओ शाही बैंड बजाएं,
आओ बंदनवार सजाएं,
ख़ुशियों में डूबे उतराएं,
आओ तुमको सैर कराएं
उदकमंडलम की, शिमला-नैनीताल की
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!


तुम मुस्कान लुटाती आओ,
तुम वरदान लुटाती जाओ,
आओ जी चांदी के पथ पर,
आओ जी कंचन के रथ पर,
नज़र बिछी है, एक-एक दिक्पाल की
छटा दिखाओ गति की लय की ताल की
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!


सैनिक तुम्हें सलामी देंगे
लोग-बाग बलि-बलि जाएंगे
दॄग-दॄग में ख़ुशियां छलकेंगी
ओसों में दूबें झलकेंगी
प्रणति मिलेगी नए राष्ट्र के भाल की
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!


बेबस-बेसुध, सूखे-रुखड़े,
हम ठहरे तिनकों के टुकड़े,
टहनी हो तुम भारी भरकम डाल की
खोज ख़बर तो लो अपने भक्तों के ख़ास महाल की!
लो कपूर की लपट
आरती लो सोने के थाल की
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!


भूखी भारत-माता के सूखे हाथों को चूम लो
प्रेसिडेंट के लंच-डिनर में स्वाद बदल लो, झूम लो
पद्म-भूषणों, भारत-रत्नों से उनके उद्गार लो
पार्लियामेंट के प्रतिनिधियों से आदर लो, सत्कार लो
मिनिस्टरों से शेकहैंड लो, जनता से जयकार लो
दाएं-बाएं खड़े हज़ारी ऑफ़िसरों से प्यार लो
धनकुबेर उत्सुक दीखेंगे उनके ज़रा दुलार लो
होंठों को कंपित कर लो, रह-रह के कनखी मार लो
बिजली की यह दीपमालिका फिर-फिर इसे निहार लो
यह तो नई-नई दिल्ली है, दिल में इसे उतार लो
एक बात कह दूं मलका, थोड़ी-सी लाज उधार लो
बापू को मत छेड़ो, अपने पुरखों से उपहार लो
जय ब्रिटेन की जय हो इस कलिकाल की!
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!
रफ़ू करेंगे फटे-पुराने जाल की!
यही हुई है राय जवाहरलाल की!
आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी!

download 2022 06 11T151344.314
Baba Nagarjuna की कविताएं

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।

चंदू, मैंने सपना देखा

चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूं पटना लौटा
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू
चंदू,मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेकाबू

मैंने सपना देखा देखा, कल परसों ही छूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, खूब पतंगें लूट रहे हो
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलंडर
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से पटना आए हो
चंदू, मैंने सपना देखा, मेरे लिए शहद लाए हो

चंदू मैंने सपना देखा, फैल गया है सुयश तुम्हारा
चंदू मैंने सपना देखा, तुम्हें जानता भारत सारा
चंदू मैंने सपना देखा, तुम तो बहुत बड़े डाक्टर हो
चंदू मैंने सपना देखा, अपनी ड्यूटी में तत्पर हो

चंदू, मैंने सपना देखा, इम्तिहान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, पुलिस-यान में बैठे हो तुम
चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ अंदर
चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलेंडर

download 2022 06 11T151659.228
Baba Nagarjuna

सच न बोलना

मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को,
डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को!
जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दिखा!
सभी कट गए सुना, देश को पुलिस रही सबक सिखा!

जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी है
भूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है!
बंद सेल, बेगूसराय में नौजवान दो भले मरे
जगह नहीं है जेलों में, यमराज तुम्हारी मदद करे।

ख्याल करो मत जनसाधारण की रोज़ी का, रोटी का,
फाड़-फाड़ कर गला, न कब से मना कर रहा अमरीका!
बापू की प्रतिमा के आगे शंख और घड़ियाल बजे!
भुखमरों के कंकालों पर रंग-बिरंगी साज़ सजे!

ज़मींदार है, साहुकार है, बनिया है, व्यापारी है,
अंदर-अंदर विकट कसाई, बाहर खद्दरधारी है!
सब घुस आए भरा पड़ा है, भारतमाता का मंदिर
एक बार जो फिसले अगुआ, फिसल रहे हैं फिर-फिर-फिर!

छुट्टा घूमें डाकू गुंडे, छुट्टा घूमें हत्यारे,
देखो, हंटर भांज रहे हैं जस के तस ज़ालिम सारे!
जो कोई इनके खिलाफ़ अंगुली उठाएगा बोलेगा,
काल कोठरी में ही जाकर फिर वह सत्तू घोलेगा!

माताओं पर, बहिनों पर, घोड़े दौड़ाए जाते हैं!
बच्चे, बूढ़े-बाप तक न छूटते, सताए जाते हैं!
मार-पीट है, लूट-पाट है, तहस-नहस बरबादी है,
ज़ोर-जुलम है, जेल-सेल है। वाह खूब आज़ादी है!

रोज़ी-रोटी, हक की बातें जो भी मुंह पर लाएगा,
कोई भी हो, निश्चय ही वह कम्युनिस्ट कहलाएगा!
नेहरू चाहे जिन्ना, उसको माफ़ करेंगे कभी नहीं,
जेलों में ही जगह मिलेगी, जाएगा वह जहां कहीं!

सपने में भी सच न बोलना, वर्ना पकड़े जाओगे,
भैया, लखनऊ-दिल्ली पहुंचो, मेवा-मिसरी पाओगे!
माल मिलेगा रेत सको यदि गला मजूर-किसानों का,
हम मर-भुक्खों से क्या होगा, चरण गहो श्रीमानों का!

संबंधित खबरें….

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here