भारत में निर्मित भारत की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन (Covaxin) को WHO से मान्यता के लिए अभी लंबा इंतजार करना होगा। खबर आई थी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) भारत बायोटेक (Bharat Biotech) की वैक्सीन को जल्द ही मान्यता दे देगा लेकिन संगठन ने मान्याते के लिए अभी और जानकारी मांगी है।
Soumya Swaminathan ने किया था दावा
बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी सलाहकार समूह ने कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए स्वीकृत सूची में शामिल करने पर विचार करने के लिए भारत बायोटेक से अतिरिक्त जानकारी मांगी है। सलाहकार समूह कोवैक्सीन से जोखिम और लाभ का आकलन कर रहा है। कोवैक्सीन के मसले पर विचार करने के लिए अब सलाहकार समूह की तीन नवंबर को बैठक होगी।
इससे पहले , डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ चार से छह सप्ताह के भीतर आपातकालीन उपयोग सूची में कोवैक्सिन को शामिल करने पर निर्णय ले सकता है। भारत में बने कोवैक्सिन को कोई भी देश लगवाने को तैयार नहीं था। भारत की जनता भी इस वैक्सिन को लगाने से कतरा रही थी। मगर अब डब्ल्यूएचओ आपातकालीन उपयोग सूची में कोवैक्सिन को शामिल कर देगा।
Trial का परिणाम था अच्छा
बता दें कि कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के रिजल्ट सामने आए थे। जो कि काफी प्रभावशाली रहा। भारत बायोटेक द्वारा जारी ट्रायल के डेटा के मुताबिक, फाइनल चरण के ट्रायल में देसी वैक्सीन कोवैक्सीन कोरोना के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी पाई गई है। वहीं, दुनिया भर में नया टेंशन देने वाले खतरनाक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ यह टीका 65.2% असरदार पाया गया है। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट के वायरस से लड़ने में काफी कारगार है।
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने EUL के लिए 19 अप्रैल को WHO के समक्ष आवेदन किया था। उस वक्त उम्मीद जताई जा रही थी कि इसे जल्दी ही मान्यता मिल जाएगी पर अभी तक इंतजार की घड़ी खत्म नहीं हुई है।
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