हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा
अलामा इकबाल की लिखी इन दो पंक्तियों से पहचान होती है देश के पहले CDS जनरल Bipin Rawat के शौर्य और साहस की। अपना जीवन देश की सेना को समर्पित करने वाले जनरल बिपिन रावत की कल एक वायु दुर्घटना में मौत हो गई।
इस हादसे में जनरल बिपिन रावत के साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत और साथ में अन्य 11 सैन्य अधिकारियों की दर्दनाक मौत हो गई। 31 दिसंबर 2016 को जनरल बिपिन रावत ने सेना प्रमुख का पद संभाला। 31 दिसंबर 2019 को वह सेना प्रमुख के पद से रिटायर हुए और 1 जनवरी 2020 को नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश का पहला CDS नियुक्त किया।
CDS General Bipin Rawat ने देहरादून में कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से शिक्षा ली, जहां उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया। वह फोर्ट लीवनवर्थ, यूएसए में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के स्नातक भी हैं।
उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से डिफेंस स्टडीज में एमफिल, प्रबंधन में डिप्लोमा और कम्प्यूटर स्टडीज में भी डिप्लोमा किया है। 2011 में उन्हें सैन्य-मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा डॉक्टरेट ऑफ़ फिलॉसफी से सम्मानित किया गया था।
जनरल रावत ने जनवरी 1979 में सेना में मिजोरम में प्रथम नियुक्ति पाई। उसके बाद उन्होंने नेफा इलाके में तैनाती के दौरान बटालियन की अगुवाई की। कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीस कीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की थी। इसके अलावा जनरल बिपिन रावत ने कारगिल युद्ध और पाकिस्तान के खिलाफ हुए सर्जिकल स्ट्राइक में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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