POCSO Act: Bombay High Court के फैसले पर Supreme Court का फैसला- POCSO Act में स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट जरूरी नहीं

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Supreme Court
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POCSO Act: स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट (Skin to Skin Contact) के बिना POCSO एक्ट लागू नहीं होता है, मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court)  ने आज अपना फैसला सुनाया है। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पॉक्सो एक्ट में स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट को जरूरी नहीं बताया है। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद 30 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी कि 18 नवंबर को कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, पॉक्सो एक्ट में स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट जरूरी नहीं है।

19 जनवरी 2021 को Bombay High Court ने क्या कहा था?

बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में 19 जनवरी 2021 को कहा था कि किसी नाबालिग के ब्रेस्ट को बिना ‘स्किन टू स्किन’ कॉन्टैक्ट के बिना छूना POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत यौन शोषण की श्रेणी में नहीं आएगा।

बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले का विरोध किया था साथ ही इसे गलत भी बताया था।

पूरा मामला

गौरतलब है कि, एक सेशन कोर्ट ने एक 39 साल के शख्स को 12 साल की बच्ची का यौन शोषण करने के अपराध में तीन साल की सजा सुनाई थी। जिसे नागपुर बेंच की जज पुष्पा गनेडीवाला ने संशोधित किया था।

दिसंबर, 2016 में हुई इस घटना को लेकर नाबालिग की गवाही में बताया गया था कि आरोपी सतीश नागपुर में बच्ची को कुछ खिलाने का लालच देकर अपने घर ले गया था और उसके साथ यौन शोषण किया। वहीं गनेडीवाला ने अपने आदेश में कहा था कि, उसने बच्ची का ब्रेस्ट छुआ और उसके कपड़े उतारने की कोशिश की थी।

कोर्ट ने अपने बयान में कहा था कि उसने बच्ची का कपड़ा बिना उतारे ब्रेस्ट छूने की कोशिश की थी, तो यह यौन शोषण नहीं माना जाएगा।

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