आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच टकराव जगजाहिर रहा है। ड़ोनल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ आतंकबाद के मुद्दे पर ज्यादा मुखर हुआ है। इसी तर्ज पर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान से बात करने के बाद दावा किया कि अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकियों से सख्ती से निपटने के लिया कहा है। जबकि इसके ठीक उलट पाकिस्तान की तरफ से कहा वजा रहा है कि अमेरिका ने आतंकवाद को लेकर कोई बात नहीं की।
दरअसल अमेरिका कई सालों से पाकिस्तान के अफगान तालिबान और अन्य कई आतंकी गुटों को समर्थन देने के खिलाफ कई बार मुखर हो चुका है। अमेरिका पाकिस्तान को न केवल कई बार चेतावनी दे चुका है बल्कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य मदद में भी भारी कटौती कर चुका है।
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता के मुताबिक, अमेरिकी विदेश मंत्री ने इमरान खान न केवल जीत की बधाई दी है बल्कि कहा कि पाक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभाए। इस बयआन के बाद पाकिस्तानी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने अमेरिका के इस बयान का खंडन करते हुए कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय को अपना बयान ठीक करना चाहिए। दोनों नेताओं की बीच हुई बातचीत में पाकिस्तान की जमीन पर चल रहे आतंकी गुटों के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है। हालांकि पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक माइक पॉम्पियो 5 सितंबर को पाकिस्तान आ सकते हैं।
अमेरिकी-पाकिस्तान रिश्ते : पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में उस वक्त गिरावट आ गई थी जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान पर अविश्वास जताते हुए कहा था कि इस्लामाबाद से हमें झूठ और कपट के सिवा कुछ भी हासिल नहीं हो रहा। इस्लामाबाद आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है और इसी के बाद अमेरिकी कांग्रेस ने बिल पास करके पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद में150 मिलियन डॉलर (करीब 1052 करोड़ रुपए) की कटौती की थी। हालांकि पाकिस्तान के नए निजाम इमरान खान अमेरिका के साथ बेहतर रिश्तो की हिमायत कर रहे हैं।