नीतीश की राजनीति का निचोड़, ”किसी भी कीमत पर सत्ता प्राप्त करूंगा लेकिन सत्ता लेकर अच्छा काम करूंगा”

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Nitish Kumar
Nitish Kumar

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अक्सर आरोप लगता है कि वे मुख्यमंत्री बने रहने के लिए पाला बदलते रहते हैं। कभी वे बीजेपी के साथ जा मिलते हैं तो कभी राष्ट्रीय जनता दल या कांग्रेस के साथ हो लेते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि 2013 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया तो नीतीश कुमार उनके खिलाफ हो गए। 2014 में नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में अकेले किस्मत आजमाई और उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी। इसके बाद उन्हें समझ आया कि उनकी पार्टी अकेले दम पर बिहार में कामयाब नहीं हो सकती है।

2015 में नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल हो गए और विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। हालांकि महागठबंधन के साथ उनका ये साथ 2017 में खत्म हुआ और फिर से वे एनडीए में जा मिले और सीएम बने। नीतीश ने 2019 का लोकसभा चुनाव और 2020 का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ रहकर ही लड़ा और कामयाबी हासिल की। लेकिन ये साथ भी पिछले साल अगस्त में आकर खत्म हो गया। जिसके बाद नीतीश एक बार फिर महागठबंधन में जा मिले हैं। अभी यह सिलसिला जारी है लेकिन नीतीश की आगे की राजनीति क्या रहेगी, कोई तयशुदा तौर पर नहीं कह सकता।

अब सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार सत्ता प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं? दरअसल इसी से जुड़ा एक किस्सा हम आपके साथ साझा कर रहे हैं। जून 1977 में कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने । इंदिरा गांधी के खिलाफ चल रही लहर ने इमरजेंसी के बाद बिहार में जनता पार्टी की सरकार बनाई। हालांकि नीतीश कुमार जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद भी हार गए।

इसके बाद समय के साथ कर्पूरी सरकार के भीतर से ही उसकी आलोचना होने लगी थी। राज्य में कर्पूरी ठाकुर की सरकार को लेकर सवाल उठने लगे थे । आए दिन किसी मंत्री पर आरोप लगते थे। यहां तक कि ये सवाल भी होने लगा कि क्या कर्पूरी ठाकुर को सीएम बनाकर गलती तो नहीं कर दी गई। कुछ लोग मानने लगे थे कि ठाकुर जाति विशेष को अधिक महत्व दे रहे हैं। यहां तक कि सरकार में मौजूद अगड़ी जाति के अफसर और नेता भी ठाकुर के खिलाफ हो चले थे।

लेखक संकर्षण ठाकुर अपनी किताब ‘द ब्रदर्स बिहारी’ में लिखते हैं कि ऐसे ही एक दिन नीतीश कुमार और उनके साथी सुरेंद्र किशोर कर्पूरी ठाकुर को लेकर बातचीत कर रहे थे। नीतीश कुमार का भी कर्पूरी ठाकुर से मोहभंग हो गया था। नीतीश को लगने लगा था कि कर्पूरी सरकार जेपी और लोहिया के रास्ते पर नहीं चल रही है। नीतीश कुमार खुलकर कर्पूरी ठाकुर की ओलचना करने लगे थे।

लेखक के मुताबिक सुरेंद्र किशोर ने उन्हें बताया था कि उस दिन बातचीत के दौरान शायद जातिवाद या भ्रष्टाचार को लेकर बात थी। नीतीश कुमार एकाएक बहुत गुस्सा हो गए। उन्होंने जोर से टेबल ठोकते हुए दावा किया , ”किसी भी कीमत पर सत्ता प्राप्त करूंगा लेकिन सत्ता लेकर अच्छा काम करूंगा। ”

शायद यही नीतीश कुमार की राजनीति की सच्चाई है कि वे भी राजनीति की दुनिया को समझते हुए हर हथकंडे को आजमाते हैं लेकिन उनका मकसद सिर्फ सत्ता भोगना नहीं रहा है। नीतीश सीएम बनने की राजनीति करते हैं लेकिन सीएम बनकर अच्छा काम करने की कोशिश करते हैं।

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