Nirbhaya Rape Case 2012: 16 दिसंबर 2021 की वो भयावह रात जिसने हर भारतीय की रूह को हिला कर रख दिया था। जी हां हम बात कर रहे हैं उस रात की जब देश की बेटी निर्भया के साथ जघन्य अपराध हुआ था। दिल्ली की सड़कों पर उस रात हैवानियत की सारी हदें पार कर दी गई थी जिसे आज भी देश भुला नहीं सका है। आज निर्भया गैंगरेप को 10 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन मुनिरका में चलती बस में निर्भया का सामूहिक बलात्कार हुआ था और आरोपियों ने बर्बरता की सारी हदें पार कर दी थी। इस मामले में 6 आरोपी दोषी पाए गए, जिन्हें सजा दिलाने के लिए निर्भया की मां को सालों तक प्रतिज्ञा करनी पड़ी। घटना के करीब 7 साल बाद निर्भया के दोषियों को कोर्ट ने सजा सुनाई। इस केस ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे देश को गहरी सोच में डाल दिया था।
बलात्कार और हैवानियत की ऐसी तस्वीर पहले कभी किसी ने नहीं देखी थी लिहाजा इसने हमारे कानून और न्याय व्यवस्था में एक बड़े बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। निर्भया के दोषियों को सजा देने में न्यायिक व्यवस्था ने समय जरूर लिया, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सजा दी। हालांकि, कानून व्यवस्था में भले ही कितने बदलाव क्यों न कर दिए हो लेकिन वर्तमान समय में अब भी महिलाओं के प्रति अपराध हो रहे हैं। हर दिन खबरों के बाजार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों की हमें लंबी-चौड़ी लिस्ट नजर आ ही जाती है।

निर्भया कांड के बाद बीते सालों में महिलाओं के साथ अपराध कितना बढ़ा इसके गवाही देते हैं NCRB के आंकड़े जिसके मुताबिक, 2022 में रेप के मामलों में 13.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भले ही साल बदल गए हो लेकिन हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति आज भी वही है। महिलाओं के साथ बलात्कार का अर्थ सिर्फ किसी महिला के साथ किया गया यौन दुराचार नहीं है बल्कि कई मामलों में देखा जाता है कि महिला के शरीर के साथ हिंसा को अंजाम दिया जाता है। जिसका अर्थ ये है कि महिला का शरीर पुरुषों के लिए अपनी यौन कुंठा को जाहिर करने का एक माध्यम है।
बलात्कार के दौरान होनी वाली हिंसा बताती है कि महिला के समक्ष पुरुष स्वयं को कितना वर्चस्ववादी मानता है और उसके आगे महिला का कोई अस्तित्व नहीं है। महिलाओं के साथ बलात्कार के दौरान अंगों को विक्षिप्त करने वाली घटना हमें एहसास दिलाती है उस पितृसत्तात्मक समाज की जहां हमेशा औरत को पुरुष से कम समझा जाता है। जहां पुरुषों की नजर में औरत का कोई अस्तित्व नहीं है वो महज एक वस्तु के सामान है।
औरतों के प्रति हो रही हिंसा के आंकड़ों को पेश करने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यरों के पूर्व निदेशक शारदा प्रसाद का कहना है कि उत्तर भारत के राज्यों जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश शामिल है। यहां रेप के मामलों में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण समाज में सामंती विचारधारा का होना है। जब भी किसी महिला के साथ दुष्कर्म होता है तो उसे शर्म और इज्जत की नजरों से देखा जाता है।

बलात्कार होना महिला की इज्जत से जोड़कर देखा जाता है जिस कारण समाज महिला पर ही ये दवाब बनाता है कि वह सबके सामने अपने साथ हुए दुष्कर्म को न बताए, बल्कि चुप रह कर आरोपियों को खुला घूमने दे। आज भले ही कई महिलाएं अपने खिलाफ अपराध के लिए आवाज उठा रही हैं लेकिन अभी भी बहुत सारे केस है जो पुलिस तक पहुंचते ही नहीं।
साल 2012 में राजधानी में निर्भया के साथ हुए रेप के बाद लोगों के मन में क्रांति आई, जिसका नतीजा ये हुआ की ऐसे मामलों की रिपोर्टिंग बढ़ी है, लेकिन अभी भी घरों के भीतर होने वाले ऐसे अपराध के मामले सामने नहीं आ रहे हैं।
Nirbhaya Rape Case 2012: क्या कहते हैं NCBR के आंकड़े
साल 2022 के आंकड़ों की बात करे तों इसके मुताबिक, भारत में एक दिन में औसतन 87 बलात्कार की घटना होती हैं। वहीं राजधानी में औसतन एक दिन में 5.6 बलात्कार के मामले सामने आते हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं होती हैं।
Nirbhaya Rape Case 2012: कानूनों में हुए बदलाव
- 16 दिसंबर को निर्भया के साथ हुए बलात्कार के बाद कानून के नजरिए में रेप की परिभाषा बदल गई। कानून में बदलाव किए गए, जिसमें आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2013 में बलात्कार की परिभाषा को विस्तृत किया गया।
- बलात्कार के बाद अगर पीड़िता की मौत हो जाती है या उसकी स्थिति बेहद खराब है तो उस केस में सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया है। इसके अलावा मौत की सजा का भी प्रावधान है।
- फरवरी साल 2013 में क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस लाया गया, जिसके तहत IPC की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए। इसमें बलात्कार से जुड़े मामलों में नियमों में सख्ती की गई। आरोपी को फांसी की सजा देने के लिए नियम बनाए गए।
- 22 दिसंबर 2015 को राज्यसभा में जुवेनाइल जस्टिस बिल पास किया गया।इस एक्ट के तहत प्रावधान किया गया कि 16 साल या उससे ज्यादा उम्र के नाबालिक को जघन्य अपराध में छूट न दी जाए। उसे दोषी मानकर उस पर कार्रवाई की जाए। अब तक ऐसे कई मामले देखे गए हैं जहां दोषी को नाबालिक बता कर उसे बचाने की कोशिश की गई है।
यह भी पढ़ें:
- Delhi Acid Attack: जानिए पिछले 5 साल में देश में कितने दर्ज हुए एसिड अटैक के मामले और कितने लोगों को मिली सजा
- Delhi Acid Attack: फिल्मी अंदाज में रची हमले की साजिश, ब्रेकअप के बाद ऑनलाइन खरीदा एसिड और फिर…