Lakhimpur Kheri Violence: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में लखीमपुर खीरी जिला एवं सत्र अदालत ने मुख्य आरोपी Ashish Mishra, लव कुश राणा और आशीष पांडे की जमानत याचिका खारिज कर दी है। सत्र न्यायालय के न्यायाधीश मुकेश मिश्रा (Mukesh Mishra) ने आदेश में कहा कि किसानों को वाहन से कुचलने की घटना की जांच अभी जारी है और इसलिए अदालत को मुख्य आरोपी को जमानत पर रिहा करने का कोई वास्तविक कारण नहीं मिला है।
अभियोजन पक्ष ने आशीष मिश्रा को अपराधी साबित करने के लिए केस डायरी, 60 चश्मदीदों के बयान और 4 firearms की बैलिस्टिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। आशीष मिश्रा की ओर से पेश हुए वकील सलिल श्रीवास्तव, चंद्र मोहन और अवधेश दुबे ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का बेटा 3 अक्टूबर को हुई हिंसा स्थल पर मौजूद नहीं था। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी।
मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के विरोध में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। आशीष के काफिले ने किसानों को कथित तौर पर कुचल दिया था। जवाबी कार्रवाई में किसानों ने कथित तौर पर तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। चार किसानों और एक पत्रकार की मौत के मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने दो भाजपा कार्यकर्ताओं और चालक की मौत के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। यूपी सरकार ने हिंसा की जांच के लिए एक Special Investigation Team के गठन का आदेश दिया था। मिश्रा को नौ अक्टूबर को SIT ने गिरफ्तार किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने निराशा व्यक्त की थी
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जिस तरह से जांच आगे बढ़ रही थी उस पर निराशा व्यक्त की थी और कहा था कि वह चार्जशीट दायर होने तक जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त एक न्यायाधीश की नियुक्ति करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने लखीमपुर खीरी कांड की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव मामले की जांच करेंगे।
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