17 नवंबर से खुलने जा रहा है Kartarpur Sahib Corridor, जानिए सिख धर्म में इस जगह की अहमियत…

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भारत सरकार 17 नवंबर यानी कल से करतारपुर साहिब कॉरिडोर के संचालन को फिर से शुरू करने जा रही है। कोविड -19 की स्थिति में सुधार को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है। इस फैसले से बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्रियों में खुशी की लहर है। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, “एक बड़े फैसले में, जिससे बड़ी संख्या में सिख तीर्थयात्री लाभान्वित होंगे, सरकार ने कल 17 नवंबर से करतारपुर साहिब कॉरिडोर को फिर से खोलने का फैसला किया है। यह निर्णय श्री गुरु नानक देव जी और हमारे सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है।’

1500 तीर्थयात्रियों का एक जत्था पड़ोसी देश के लिए रवाना होगा

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने बताया था कि पाकिस्तान की यात्रा के लिए 1500 तीर्थयात्रियों का एक जत्था इस महीने पड़ोसी देश के लिए रवाना होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया, ‘यह निर्णय लिया गया है कि लगभग 1500 तीर्थयात्रियों का एक जत्था 17-26 नवंबर से 1974 प्रोटोकॉल के तहत भारत-पाक के बीच धार्मिक स्थलों की यात्रा पर पाकिस्तान जाएगा। गुरुद्वारा दरबार साहिब, श्री पंजा साहिब, डेरा साहिब, ननकाना साहिब, करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सच्चा सौदा की यात्रा तीर्थयात्री करेंगे।’

जानिए करतारपुर साहिब गलियारे के बारे में

मालूम हो कि करतारपुर कॉरिडोर वीजा फ्री गलियारा और क्रॉसिंग है जो पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे को भारत की सीमा से जोड़ता है। गलियारे की मदद से भारत के तीर्थयात्री और श्रद्धालु भारत-पाकिस्तान सीमा के भीतर 4.7 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए किसी वीजा की जरूरत नहीं है।

इससे पहले दिल्ली-लाहौर बस कूटनीति के हिस्से के रूप में करतारपुर कॉरिडोर को पहली बार 1999 की शुरुआत में अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज शरीफ द्वारा प्रस्तावित किया गया था। नवंबर 2018 में, दोनों देशों ने इस गलियारे के लिए आधारशिला रखी थी। 12 नवंबर 2019 को गुरु नानक की 550वीं जयंती पर गलियारे का काम पूरा हुआ।

गौरतलब है कि भारत से गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर को देखा तो जा सकता था लेकिन वहां जाने के लिए भारत से सिख तीर्थयात्रियों को लाहौर के लिए एक बस लेनी पड़ती थी, जो कि 125 किलोमीटर की यात्रा होती थी।

करतारपुर साहिब की अहमियत

बता दें कि सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी ने 1504 ई. में रावी नदी के दाहिने किनारे पर करतारपुर की स्थापना की थी। ऐसी मान्यता है कि इसी जगह से सिख समुदाय ने स्वरूप लेना शुरू किया था।

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