कर्नाटक: Anti Conversion Bill पर सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा, इससे एससी-एसटी समुदाय और महिलाओं को संरक्षण मिलेगा

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Anti Conversion Bill: कर्नाटक विधानसभा में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (Basavaraj bommai) की अगुवाई वाली BJP सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून Anti Conversion Bill को पेश किया।

सरकार द्वारा प्रस्तावित इस नए कानून के तहत जबरन धर्मांतरण कराने वाले पर 5 लाख तक का जुर्माना लग सकता है। कहा यह जा रहा है कि कर्नाटक सरकार यह विधेयक हिन्दुओं को धर्मांतरण से बचाने के लिए ला रही है। बिल के मसौदे में 3 से 10 साल तक सजा का प्रावधान है।

विधानसभा में Anti Conversion Bill पेश किया गया

विधानसभा में राज्य के कानून और सदन कार्य मंत्री जेसी मधुस्वामी ने विधानसभा में बिल पेश करते हुए बताया कि सरकार उसी Anti Conversion Bill को आज विधानसभा के पटल पर रख रही है, जिसे साल 2016 में सिद्धरमैय्या सरकार के द्वारा तैयार किया गया था।

जिसके जवाब में विपक्षी नेता सिद्धारमैय्या ने कहा कि सरकार ने न तो इस बिल के विषय में बताया है और न ही इस पर कोई चर्चा की। इसे सीधे कैबिनेट की बैठक में पास कर दिया। जो बिल 2016 में ड्राफ्ट किया गया था सरकार के 2021 के बिल से एकदम अलग है।

Basavaraj Bommai on Anti Conversion Bill
Basavaraj Bommai on Anti Conversion Bill

जिस पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि हम एससी-एसटी के हालात को देख रहे हैं। वो आज भी उपेक्षित हैं। हमारा यही लक्ष्य है कि इस बिल के जरिये एससी-एसटी समुदाय और महिलाओं को संरक्षण दिया जा सके।

मालूम हो कि कर्नाटक में बसवराज बोम्मई की अगुवाई वाली BJP सरकार ने जिस धर्मांतरण विरोधी कानून Anti Conversion Bill को विधानसभा में पेश किया है। उसके तहत जबरन धर्मांतरण कराने वाले पर 5 लाख तक का जुर्माना लग सकता है। बता दें कि कर्नाटक सरकार ये विधेयक हिन्दुओं को धर्मांतरण से बचाने के लिए ला रही है। बिल के मसौदे में 3 से 10 साल तक सजा का प्रावधान है। कर्नाटक में लगातार हिंदू धर्म से इस्लाम और ईसाई में लोगों के धर्मातरण की खबरें आ रही हैं।

भाजपा सरकार ने लंबी चर्चा के बाद Anti Conversion Bill बिल सदन में पेश किया है

इन खबरों के बीच कर्नाटक सरकार ने यह कदम उठाया है। बता दें कि इस कानून की वैधता की जांच के लिए लगातार कई दिनों से बैठकों का दौर जारी है। बीते बुधवार को विधायक दल की बैठक हुई थी। इस बैठक में भाजपा ने निर्णय लिया था कि इसी सत्र में सदन में इस बिल को पेश किया जाएगा।

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विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति से आने वाले लोगों, नाबालिगों और महिलाओं के दूसरे धर्म में जबरन धर्मांतरण के लिए अधिकतम 10 साल की कैद की सजा का प्रावधान है। सामान्य वर्ग के लोगों के धर्मांतरण के मामले में तीन साल से पांच साल की जेल और 25,000 रुपये के जुर्माने का प्रस्ताव है। वहीं नाबालिगों, महिलाओं, एससी और एसटी समुदायों के व्यक्तियों के धर्म परिवर्तन के मामले में तीन से दस साल की जेल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।

बता दें कि नए विधेयक में ग्रुप में धर्मांतरण होने पर दोषी को 10 साल तक की सजा और एक लाख तक जुर्माना देना होगा। इसके अलावा विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि कोर्ट सुनवाई के दौरान दोषी को जुर्माने की रकम एक लाख से बढ़ाकर पांच लाख भी कर सकता है।

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