पत्रकार का Tripura सरकार पर आरोप, कहा- सिर्फ तीन शब्द लिखने के लिए मुझ पर लगाया गया UAPA

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First Time Bjp Government In Tripura, Biplab Kumar Deb will take oath as CM post
त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब।

Shyam Meera Singh नाम के पत्रकार ने सोशल मीडिया पर दावा किया है कि Tripura की बीजेपी सरकार ने उनके ऊपर UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पत्रकार का दावा है कि “त्रिपुरा जल रहा है” लिखने के लिए त्रिपुरा सरकार ने उनके ऊपर यह कार्रवाई की है।

श्याम मीरा सिंह ने ट्वीट किया, “त्रिपुरा जल रहा है” इन 3 शब्दों को लिखने के लिए, त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मुझ पर यूएपीए लगाया है। मैं एक बार फिर दोहराना चाहता हूं कि मैं न्याय के लिए खड़े होने से कभी नहीं हिचकिचाऊंगा। मेरे देश का पीएम कायर हो सकता है, हम पत्रकार नहीं। मैं आपकी जेलों से नहीं डरता।”

UAPA लगने के बाद पत्रकार Shyam Meera Singh ने क्‍या कहा?

UAPA के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद पत्रकार श्‍याम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट में लिखा, ”त्रिपुरा में चल रही घटनाओं को लेकर, मेरे तीन शब्द के एक ट्वीट पर त्रिपुरा पुलिस ने मुझ पर UAPA के तहत मुक़दमा दर्ज किया है, त्रिपुरा पुलिस की FIR कॉपी मुझे मिल गई है, पुलिस ने एक दूसरे नोटिस में मेरे एक ट्वीट का ज़िक्र किया है। ट्वीट था- Tripura Is Burning”। त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मेरे तीन शब्दों को ही आधार बनाकर UAPA लगा दिया है।

पहली बार में इस पर हंसी आती है। दूसरी बार में इस बात पर लज्जा आती है, तीसरी बार सोचने पर ग़ुस्सा आता है। ग़ुस्सा इसलिए क्योंकि ये मुल्क अगर उनका है तो मेरा भी, मेरे जैसे तमाम पढ़ने-लिखने, सोचने और बोलने वालों का भी. जो इस मुल्क से मोहब्बत करते हैं, जो इसकी तहज़ीब, इसकी इंसानियत को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर अपने ही देश में अपने नागरिकों के बारे में बोलने के बदले UAPA की सजा मिले तब ये बात हंसकर टालने की बात नहीं रह जाती

बोलने और ट्वीट करने भर पर UAPA जैसे चार्जेस लगाने की खबर पढ़ने वाले हर नागरिक को एक बार ज़रूर इस बात का ख़्याल करना चाहिए कि अगर पूरे मुल्क में एक नागरिक, एक समूह, एक जाति, एक मोहल्ला या एक धर्म असुरक्षित है तो उस मुल्क का एक भी इंसान सुरक्षित नहीं है। लेट अबेर, एक न एक दिन इंसानियत और मानवता के हत्यारों के हाथ का चाकू आपके बच्चे के गर्दन पर भी पहुँचेगा

बता दें कि पिछले कुछ सालों में यूएपीए के तहत बहुत सारे पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। इस साल जनवरी में ही मणिपुर में दो पत्रकारों के ऊपर यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया था। Frontier Manipur के Executive Editor पाओजेल चाओबा (Paojel Chaoba) और मुख्य संपादक धीरेन सदोकपम (Dhiren Sadokpam) को गिरफ्तार किया गया था। वहीं पिछले साल अक्‍टूबर के महीने में 19 वर्षीय दलित महिला के साथ हाथरस में हुई घटना को कवर करने जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन और तीन अन्य को उत्तर प्रदेश पुलिस ने UAPA के तहत गिरफ्तार किया था।

UAPA क्‍या है?

भारतीय संसद ने 1967 में गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities (Prevention) Act-UAPA) कानून पारित किया था। इस कानून में 2004, 2008, 2012 और 2019 में बदलाव भी किए गए थे। 2019 के संशोधन में इसमें कठोर प्रावधान जोड़े गए थे।

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