Indian Rupee: इस साल के खत्म होते-होते भारतीय रुपया (Indian Rupee) एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी बन गया है। इस तिमाही में रुपये में 1.9% की गिरावट आई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के शेयर बाजार से 4.2 बिलियन डॉलर की पूंजी निकाली गई है। Coronavirus के Omicron वेरिएंट को लेकर चिंताओं के बीच कई विदेशी कंपनियों ने भारतीय शेयरों को बेचा है।
Indian Rupee की कैरी अपील पर पड़ा है असर

वहीं, व्यापार में घाटे और फेडरल रिजर्व के साथ केंद्रीय बैंक की नीतिगत भिन्नता ने भी रुपये की कैरी अपील को प्रभावित किया है। मुंबई में आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड में वैश्विक बाजार, बिक्री, व्यापार और रिसर्च के प्रमुख बी प्रसन्ना ने कहा, “मोनेटरी पॉलिसी में आए डायवर्जन और चालू खाते के अंतर ने आने वाले वक्त में रुपये की कीमत को कम किया है।”
Indian Rupee में गिरावट RBI के लिए दोधारी तलवार

गौरतलब है कि रुपये में गिरावट भारतीय रिजर्व बैंक के लिए दोधारी तलवार है। जहां एक कमजोर करेंसी निर्यात को बढ़ा सकती है वहीं यह महंगाई का जोखिम भी पैदा करती है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक के लिए ब्याज दरों को लंबे समय तक कम बनाए रखना मुश्किल बना सकती है। हालांकि कुछ लोगों को उम्मीद है कि मार्च के अंत तक रुपया घटकर 78 रुपये प्रति डॉलर हो जाएगा, जो अप्रैल 2020 में पिछले रिकॉर्ड 76.9088 के निचले स्तर पर पहुंच गया था। जबकि व्यापारियों और विश्लेषकों के सर्वेक्षण ने रुपये को 76.50 पर पहुंचने का अनुमान लगाया था। लगातार चौथे साल घाटा होने पर रुपये में इस साल लगभग 4% की गिरावट दर्ज की गई है।
Indian Rupee की वर्तमान स्थिति क्या है?
बता दें कि उच्च आयात के बीच नवंबर में भारत का व्यापार घाटा लगभग 23 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचने के कारण रुपये में मंदी आई है। इस बीच रुपया मंगलवार को 0.4% बढ़कर 75.63 प्रति डॉलर हो गया, जिससे हालिया गिरावट को कम करने में मदद मिली है।
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