साल 2012 में मारूति सुजुकी के मानेसर प्लांट में हुए कांड में अदालत ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है। गुरुग्राम की अदालत ने 31 लोगों को दोषी करार दिया है साथ ही 117 लोगों को आरोपों से मुक्त किया है। हालांकि दोषियों को सजा का ऐलान 17 मार्च को होगा। मामले की सुनवाई अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायधीश आरपी गोयल कर रहे हैं।

कर्मचारियों पर देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के मानेसर स्थित प्लांट पर हिंसक झड़प में लिप्त होने के आरोप थे। अदालत ने यह फैसला चार साल बाद सुनाया है।

यूनियन के गठन को लेकर हुए विवाद में मारुति सुजुकी के महाप्रबंधक अवनीश कुमार देव की 18 जुलाई 2012 को हुई हिंसा में मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने गंभीर धाराओं में 147 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था। सुनवाई के दौरान 145 कर्मचारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। कर्मचारियों पर हथियारों से हमला करना,  हत्या,  हत्या का प्रयास, दंगा करने समेत कई धाराएं लगाई गई हैं।

मारुति कांड में कब क्या हुआ?

18 जुलाई, 2012: मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में हिंसा का अंत महाप्रबंधक अवनीश कुमार देव की मृत्यु से हुआ। 40 से अधिक अधिकारी घायल हो गए। एफआईआर धारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 114, 120-बी, 147, 148, 14 9, 201, 302, 307, 323, 325, 332/34, 353, 381, 382, 427, 436, 452 के तहत दायर की गई।

16 अक्तूबर 2012: आरोप पत्र दायर किया गया।

2013: हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट चंड़ीगढ़ में न्यायाधीश इमान खान की अदालत ने पहली जमानत मंजूर की।

मार्च / अप्रैल 2015: मामले की सुनवाई कर रही स्थानीय अदालत ने 100 से अधिक आरोपी श्रमिकों कर्मचारियों को जमानत दे दी।

01 जुलाई 2016: सर्वोच्च न्यायालय ने अमित नैन की जमानत मंजूर की।

21 जुलाई 2016: सुमित नैन की जमानत स्थानीय ट्रायल कोर्ट ने मंजूर की।

11 अगस्त 2016: ट्रायल कोर्ट ने इस मामले के आरोपी 18 श्रमिकों को जमानत दी

12 सितंबर 2016: ट्रायल कोर्ट द्वारा जमानत पर 5 और श्रमिक बाहर आए।

9 दिसंबर, 2016: इस मामले में अंतिम बहस की कार्रवाई शुरू हुई।

02 गिरफ्तारियां वर्ष 2015-16 के बीच हुई।

150 श्रमिकों की गिरफ्तारियां हुई

139 श्रमिक जमानत पर बाहर हैं

11 श्रमिक अब भी जमानत के अभाव में जेल में हैं।

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