राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में कांग्रेस पार्टी अपने नेताओं को बचाने के लिए दौड़ लगा रही है। जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी विधायकों से भरी नैया को बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सचिन पायलट का बागी रुप देखकर फोन किया। प्रियंका का फोन आते ही पायलट अपनी पलटन के साथ दौसा पहुंच गए हैं।
मीडिया खबरों की माने तो सचिन पायलट दौसा अपने पिता स्व. राजेश पायलट को श्रद्धांजलि देने गए हैं। उनके साथ करीब आधा दर्जन विधायक हैं। पार्टी में पड़ी फूट पर सचिन पायलट आज कुछ नहीं कहेंगे, वह सीधे दिल्ली पहुंच कर कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात करेंगे।
गौरतलब है कि, 10 महीने पहले सचिन पायलट बगावत पर उतर आए थे। उनका और पायलट का समर्थन करने वाले विधायकों की कांग्रेस पार्टी से कुछ मांग है। उस समय मामल को बिगड़ा देख पार्टी ने सचिन के मुद्दे को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया था लेकिन सचिन पायलट ने आरोप लगाया ह कि, 14 अप्रैल को मुद्दा सुलझाने के लिए केमेटी का गठन किया गया था। मुझे पूरा यकीन था कि, इस मसले का हल समय रहते अवश्य निकाल लिया जाएगा। मुझे पार्टी और सोनिया गांधी पर पूरा भरोसा है। लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है। पाचं राज्यों के चुनाव भी खत्म हो चुके हैं। अभी कमेटी में दो सदस्य हैं। उपचुनाव और पांच राज्यों के चुनाव थे, वे भी खत्म होने को हैं तो मुझे नहीं लगता कि अब कोई ऐसा कारण है कि उस कमेटी के फैसलों को लागू करने में और देरी होगी।’
बता दे कि, देश की ग्रांड ओल्ड पार्टी कांग्रेस इन दिनों संकट से जूझ रही है। जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ दिया। नवोजत सिंह सिद्धू और सचिन पायलट नाराज चल रहे हैं। कांग्रेस में मंथन और चिंतन का दौर चल रहा है। फिलहाल, सचिन पायलट मौन हैं, लेकिन उनके मौन की वजह असंतोष है। नाराजगी के पीछे वो वादे है जो पूरे नहीं हुए।
जाहिर है उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाला है। कांग्रेस का देश से वैसे ही सफाया हो चुका है लेकिन यूपी उनके लिए दिल्ली तक पहुंचने की उम्मीद है। इस बीच उम्मीद पर पानी फिरता दिख रहा है। जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। पार्टी को डर है कि, कई और बड़े नेता कांग्रेस का हाथ छोड़ सकते हैं।
साल 22 में 431 विधानसभा सीटों पर उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाला है। ऐसे में बीजेपी एक एक कर टीम बनाने में जुट गई है। राज्य में वोट के लिए जातिय समीकरण काफी अहम माना जाता है। यही कारण है कि, पार्टी जितिन के भरोसे यूपी का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतर गई है।